scorecardresearch
 

दिल्ली में 1000 बसों की खरीद का क्या मामला है, जिसकी जांच के आदेश LG ने दिए?

दिल्ली सरकार द्वारा की गई 1000 बसों की खरीद की प्रक्रिया की जांच को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई है. भारतीय जनता पार्टी द्वारा लगातार इस मामले में सीबीआई जांच की अपील की जा रही थी. 

Advertisement
X
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिए हैं जांच के आदेश (फाइल फोटो)
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिए हैं जांच के आदेश (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली में एक बार फिर सरकार और एलजी आमने-सामने
  • 1000 बसों की खरीद प्रक्रिया की होगी जांच

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच फिर आर-पार की जंग छिड़ने की संभावना है. राज्य सरकार द्वारा की गई 1000 बसों की खरीद की प्रक्रिया की जांच को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई है. भारतीय जनता पार्टी द्वारा लगातार इस मामले में सीबीआई जांच की अपील की जा रही थी. 

उपराज्यपाल द्वारा जो तीन सदस्यों का पैनल बनाया गया है, उसमें एक रिटायर्ड IAS ऑफिसर, विजिलेंस विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शामिल हैं.  

जानकारी के मुताबिक, ये पैनल बस खरीद के पूरी टेंडर प्रक्रिया की जांच करेगा और देखेगा कि क्या खरीद के दौरान जनरल फाइनेंशियल रूल्स और अन्य चीज़ों का ध्यान रखा गया है या नहीं. साथ ही ये भी देखा जाएगा कि क्या किसी अन्य बेहतर मॉडल से खरीद प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता था या नहीं. कमेटी की ओर से एलजी को दो हफ्ते में ये रिपोर्ट सौंपनी होगी. 

क्या है ये पूरा मामला?
दरअसल, दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने 11 जून को एक आदेश जारी किया था जिसमें 1000 बसों की खरीद की प्रक्रिया को रोकने की बात की गई थी. दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक, एलजी द्वारा जो जांच की बात कही गई है, उसी को ध्यान में रखते हुए अब खरीद प्रक्रिया को रोक दिया गया है. 

Advertisement

दिल्ली भाजपा द्वारा आरोप लगाया गया था कि दिल्ली सरकार ने बसों की खरीद मामले में घोटाला किया है, ऐसे में इसकी सीबीआई जांच की जानी चाहिए. बीजेपी विधायक विजेंदर गुप्ता ने दावा किया कि ट्रांसपोर्ट विभाग की इंटरनल रिपोर्ट में ही खरीद प्रक्रिया में दिक्कत दिखाई पड़ी थी, इसलिए प्रक्रिया को रोक दिया गया है. 

आपको बता दें कि जनवरी, 2021 में दिल्ली सरकार ने कुल 1000 लो-फ्लोर बसों की खरीद का ऑर्डर दिया था. इसकी कुल कीमत 890 करोड़ रुपये थी, खरीद के साथ-साथ ही बसों की रख-रखाव के लिए भी टेंडर दिया गया था.

बसों की मेंटेनेंस के लिए 350 करोड़ रुपये सालाना का खर्च तय किया गया था. बीजेपी की आरोप था कि बसों की खरीद पर तीन साल की वारंटी मिलती है, लेकिन दिल्ली सरकार ने बसों की खरीद के पहले दिन से ही रख-रखाव के टेंडर की बात कही थी. 

(एजेंसी से इनपुट)


 

Advertisement
Advertisement