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फैक्ट चेक: पुरी के शंकराचार्य ने यूपी के दलित सांसद को पैर छूने से नहीं रोका, एक तस्वीर से फैला भ्रम

भारतीय जनता पार्टी के सांसद राम शंकर कठेरिया और पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती की दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन्हें शेयर करते हुए ऐसा दावा किया जा रहा है कि शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने सांसद राम शंकर कठेरिया को उनके दलित होने की वजह से अपने पांव छूने से रोक दिया.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
पुरी के शंकराचार्य ने बीजेपी सांसद राम शंकर कठेरिया को अछूत कहते हुए उन्हें अपने पैर छूने से रोक दिया.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
बीजेपी सांसद कठेरिया इसी साल मार्च में शंकराचार्य से वृंदावन में मिले थे. कठेरिया के मुताबिक उनकी मुलाकात करीब घंटे भर चली और इस दौरान उन्हें अछूत कहने या पैर छूने से रोकने जैसा कोई वाकया नहीं हुआ.

यूपी की इटावा संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद राम शंकर कठेरिया और पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती की दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन्हें शेयर करते हुए ऐसा कहा जा रहा है कि निश्चलानंद सरस्वती ने सांसद को उनके दलित होने की वजह से अपने पांव छूने से रोक दिया.  

वायरल हो रही पहली तस्वीर में शंकराचार्य सोफे पर बैठे हैं और कठेरिया जमीन पर हाथ जोड़े बैठे हैं. पास ही जमीन पर एक फलों की टोकरी रखी है. दूसरी तस्वीर में कठेरिया झुक कर नमन कर रहे हैं और शंकराचार्य के पैर जमीन से हल्का सा ऊपर उठे हुए हैं.    

एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “ये महोदय हमारे इटावा से सांसद महोदय हैं SC समुदाय से आते हैं इन्हें आज एक शंकराचार्य जी ने अपने पैर छूने से मना कर दिया. बोले तुम अछूत हो अंदर भी कैसे आये ?”    

ट्विटर के अलावा फेसबुक पर भी ये बात वायरल हो रही है.

‘इंडिया टुडे’ की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि कठेरिया के दलित होने की वजह से उन्हें शंकराचार्य के पैर छूने से नहीं रोका गया. इसकी वजह कुछ और है. कठेरिया का कहना है उन्होंने इसी साल मार्च के महीने में पुरी के शंकराचार्य से मुलाकात की थी और ऐसी कोई घटना नहीं हुई.  

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कैसे पता लगाई सच्चाई?    

हमने सांसद राम शंकर कठेरिया से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि इसी साल 16 मार्च को उनकी यूपी के वृंदावन में पुरी के शंकराचार्य से मुलाकात हुई थी. अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके कठेरिया का कहना है कि इसी साल मई में उन्होंने इटावा जिले में अपने गांव नगरिया-सरावा में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया था. इसका निमंत्रण पत्र भी उन्होंने हमारे साथ शेयर किया.

पुरी के गोवर्धन मठ के शंकराचार्य मार्च में वृंदावन आए थे और कठेरिया उन्हें निमंत्रण देने वृंदावन पहुंचे. वो करीब एक घंटे तक उनके साथ रहे. उन्हें अछूत कहने और पैर छूने से रोकने जैसी कोई भी घटना नहीं हुई.

कठेरिया ने हमारे साथ इस मुलाकात की कई और तस्वीरें भी साझा कीं.    

इन तस्वीरों को देख कर पता चलता है कि कठेरिया और शंकराचार्य की मुलाकात काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई थी.  

वायरल हो रही तस्वीर पर कठेरिया का कहना है कि “जब मैं उन्हें नमन कर रहा था तब शंकराचार्य अपने बैठने की मुद्रा को बदल रहे थे और उसी वक्त तस्वीर एक ऐसे एंगल से खिंच गई जिससे ये भ्रम फैल रहा है कि शंकराचार्य ने उन्हें पैर छूने से रोक दिया जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.”    

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हमने पुरी के गोवर्धन मठ के दफ्तर में भी बात की. मठ के सदस्य आदित्य कुमार सिंह ने हमें बताया कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से ही शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज के पैर छूने की पंरपरा को बंद कर दिया गया है. आगंतुक चाहे किसी भी जाति के हों, सभी दूर से ही नमन करते हैं. 

राम शंकर कठेरिया साल 2009 और 2014 में आगरा लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं और 2019 में इटावा से लोकसभा पहुंचे हैं. साल 2014 से 2016 तक वो केंद्र सरकार में राज्यमंत्री भी रहे हैं और साल 2017 से 2020 तक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन.

पुरी के शंकराचार्य के साथ इससे पहले अक्टूबर 2014 में एक विवाद में जुड़ा था. उस वक्त की न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक आरोप था कि उन्होंने मंदिरों में दलितों के प्रवेश पर पाबंदी का समर्थन किया था. रांची में दिए गए उनके इस कथित बयान के आधार पर उनके खिलाफ कोर्ट में केस भी दायर किया गया था. इसके अलावा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया था.

(रिपोर्ट- सुमित कुमार दुबे)

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