scorecardresearch
 

Bigg Boss: 24 घंटे रहते हैं डॉक्टर्स, कंटेस्टेंट्स के मेंटल स्टेट का रखा जाता है ख्याल, बोले प्रोड्यूसर

बिग बॉस 19 के मेकर्स ने बताया कि कंटेस्टेंट्स की मानसिक सेहत के लिए शो में 24x7 डॉक्टर और साइकियाट्रिस्ट की सुविधा उपलब्ध है. ऑडिशन के समय मानसिक जांच के बाद ही कंटेस्टेंट्स को घर में एंट्री दी जाती है. शो का मकसद सिर्फ फाइट दिखाना नहीं बल्कि इमो

Advertisement
X
कैसे कंटेस्टेंट्स के मेंटल हेल्थ का ख्याल रखते हैं बिग बॉस (Photo: Screengrab)
कैसे कंटेस्टेंट्स के मेंटल हेल्थ का ख्याल रखते हैं बिग बॉस (Photo: Screengrab)

हर साल बिग बॉस में हम देखते हैं कि कई कंटेस्टेंट टास्क के दौरान टूट जाते हैं, कैमरे के सामने रोते हैं या शो छोड़ने की धमकी देते हैं. ऐसे कई पल आते हैं जब दर्शक भी घर के सदस्यों की मानसिक हालत को लेकर चिंता करने लगते हैं. लेकिन अब इसमें राहत की बात पता चली है. शो के मेकर्स ने इंडिया टुडे/आज तक को बताया कि उन्होंने कंटेस्टेंट्स की मानसिक सेहत का पूरा ख्याल रखने के लिए एक सिस्टम तैयार किया है.

दिलचस्प बात यह है कि यह प्रक्रिया सिर्फ शो के दौरान नहीं, बल्कि ऑडिशन के समय से ही शुरू हो जाती है. किसी भी सेलेब्रिटी को शो में शामिल होने से पहले कई तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है, जिसमें मनोवैज्ञानिक जांच भी शामिल होती है.

मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं तो शो में भी एंट्री नहीं

शो के प्रोड्यूसर ऋषि नेगी ने बताया,“कई बार डॉक्टरों ने कहा है कि हमें नहीं लगता यह व्यक्ति बिग बॉस के घर में जाने के लिए मानसिक रूप से फिट है, इसलिए हमें इससे बचना चाहिए. और हमने ऐसे लोगों को शामिल नहीं किया.”

उन्होंने आगे बताया कि 'एक बार जब कंटेस्टेंट घर में पहुंच जाते हैं, तो उनकी देखभाल लाइट्स, कैमरा, एक्शन के साथ खत्म नहीं होती. शो के दौरान डॉक्टर और मनोचिकित्सक हमेशा अवेलेबल रहते हैं, चाहे दिन हो या रात.'

Advertisement

मेंटल स्टेट का 24 घंटे ध्यान रखती है टीम

उन्होंने कहा,“अगर किसी कंटेस्टेंट को किसी भी तरह की जरूरत पड़ती है, तो हमारा मनोचिकित्सक 24x7 उपलब्ध होता है. डॉक्टर और साइकियाट्रिस्ट हर समय ऑन-कॉल रहते हैं. अगर किसी को मानसिक रूप से दिक्कत होती है या ब्रेकडाउन होता है, तो वे तुरंत जांच करते हैं और फैसला लेते हैं.”

ऋषि नेगी ने यह भी बताया कि अगर किसी कंटेस्टेंट की मानसिक हालत ठीक नहीं रहती, तो यह फैसला कि उसे शो से निकालना है या रहने देना है- यह चैनल, प्रोड्यूसर या होस्ट नहीं लेते, बल्कि यह मेडिकल टीम का फैसला होता है.

ऋषि ने कहा,“डॉक्टर ही तय करते हैं कि व्यक्ति आगे शो में रह सकता है या नहीं. हम ऐसा फैसला नहीं लेते, क्योंकि आखिरकार हम एक शो बना रहे हैं, किसी की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर सकते.”

सिर्फ लड़ाई नहीं इमोशन बेस्ड शो है बिग बॉस

निर्माता ने यह भी कहा कि शो को देखने वाले दर्शक अलग-अलग उम्र और भाषाओं के होते हैं, इसलिए कंटेंट को लेकर सावधानी बरतनी पड़ती है. उन्होंने कहा,“हमारे दर्शक बहुत अलग-अलग तरह के हैं, इसलिए हमें यह ध्यान रखना होता है कि हम क्या दिखा रहे हैं. शो में अलग-अलग तरह की भावनाएं दिखती हैं- गुस्सा, खुशी, झगड़ा सब कुछ. अगर सिर्फ लड़ाई ही दिखानी होती, तो फिर बॉक्सिंग मैच करा देते.”

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement