इंडियन क्रिकेट और राजनीति का रिश्ता काफी पुराना है. एक नजर डालते हैं उन दिग्गजों पर जिन्होंने क्रिकेट जगत में नाम कमाने के बाद सियासी पिच पर भी अपनी किस्मत आजमाई.
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और अपनी कलाई के जरिए शॉट खेलने के लिए मशहूर अजहरुद्दीन 19 फरवरी 2009 को कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे. 14वीं लोकसभा में मुरादाबाद से सांसद रह चुके अजहर इस बार सवाई माधोपुर से चुनाव लड़ेंगे.
नवजोत सिंह सिद्धू भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं. क्रिकेट से राजनीति में आए सिद्धू ने 2004 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से अमृतसर से चुनाव लड़ा था और जीता भी था. इस बार अमृतसर से टिकट अरुण जेटली को दिया गया है और सिद्धू ने साफ कर दिया है कि वो किसी और क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ेंगे.
कीर्ति आजाद ने भारत के लिए ज्यादा क्रिकेट तो नहीं खेली है लेकिन राजनीति में उनका करियर फिलहाल लंबा नजर आ रहा है. कीर्ति आजाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं और पार्टी ने दोबार इन्हें बिहार के दरभंगा से ही टिकट दिया है.
ऑलराउंडर चेतन चौहान उत्तर प्रदेश के अमरोहा से 1991 और 1998 में सांसद रह चुके हैं. हालांकि इसी क्षेत्र से चेतन चौहान 1996, 1999 और 2004 में चुनाव हार चुके हैं. चेतन चौहान भी भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं.
नवाब मंसूर अली खान पटौदी का क्रिकेट करियर भले ही शानदार रहा हो लेकिन सियासी मैदान पर वो पैर नहीं जमा पाए थे. पटौदी ने 1991 में भोपाल से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था.
मैच फिक्सिंग में लिप्त पाए जाने के बाद मनोज प्रभाकर पर इंटरनेशनल क्रिकेट में बैन लग गया था. 2004 में प्रभाकर राजनीति में आए. हालांकि उन्हें सियासी मैदान में सफलता नहीं मिली.
टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज विनोद कांबली ने लोक भारती पार्टी जॉइन की थी. उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष भी बनाया गया. 2009 विधानसभा चुनाव में उन्होंने विखरोली से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे.