रणदीप हुड्डा स्टारर फिल्म 'इंस्पेक्टर अविनाश' में अहम रोल निभा रहे हरजिंदर सिंह मुंबई में पिछले पांच साल से स्ट्रगल कर रहे हैं. हरजिंदर की एक पहचान ये भी है कि वे राधे मां के बड़े बेटे हैं. वे अपनी ये पहचान सार्वजनिक करने से बचते रहे हैं. हालांकि aajtak.in से बातचीत में उन्होंने इसपर खुलकर बात की.
हरजिंदर बताते हैं कि मां के यहां आने के कुछ सालों बाद उनका पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया. यहां आकर वो एक्टिंग में अपने करियर की तलाश में लग गए. हालांकि इस इंडस्ट्री का अंदाजा उनको बिल्कुल नहीं था. लोग जैसा बताते गए, वो वैसा करते रहे. पिछले पांच-छह साल से ऑडिशन देते आ रहे हरजिंदर को अब जाकर कुछ रोल्स मिलने शुरू हुए हैं. इंस्पेक्टर अविनाश के बाद वो दीपक तिजोरी के डायरेक्शन तले बनी फिल्म 'टिप्सी' में नजर आने वाले हैं.
रणदीप हुड्डा संग काम करने के एक्स्पीरियंस पर हरजिंदर कहते हैं, वो वाकई में चलता-फिरता इंस्टीट्यूट हैं. उनसे आप बात नहीं भी करो, तो देख-देख कर ही ट्रेनिंग ले लेते हो. मेरी खुशनसीबी है कि उनके साथ काम करने का मौका मिला. अपने स्ट्रगल पर हरजिंदर कहते हैं कि मुझे यहां की एक बात बहुत अजीब लगती है कि लोग यहां ऑडिशन के बाद आपको क्लैरिटी नहीं देते. 'देखते हैं', 'कुछ करेंगे' कहकर भेज देते हैं. पहले लगता था कि शायद ये कुछ अपडेट देंगे. लेकिन ये सब कहने के बाद ये सालों-साल गायब हो जाया करते थे. इंतजार में ही मेरे सालों गुजर गए.
कभी बेचा दूध, कभी बने सिक्योरिटी गार्ड, सपनों की खातिर हुनरबाज आकाश ने सहे सारे दर्द
राधे मां संग अपनी बॉन्डिंग पर हरजिंदर कहते हैं, मैं जब तीन से चार साल का था, तो देवी मां (राधे मां) ने गृहस्थ आश्रम त्याग दिया. बचपन में मेरा और भाई का पालन-पोषण हमारी दादी ने किया. पापा भी उस वक्त विदेश में रहा करते थे. राधे मां से मां-बेटे वाला रिश्ता कभी नहीं रहा, जिसका मलाल तो रहेगा ही. मैं तो हर बार उनसे भक्त की तरह ही मिलता रहा हूं. वो घर पर ही रहा करती थीं, लेकिन गृहस्थी से बाहर थीं. वो एक कमरे में बैठी रहती थीं. लोग आते थे और उनसे मिलकर आशीर्वाद लिया करते थे. मैं उस वक्त सोच नहीं पाया था, छोटा था तो जो माहौल बनता गया उसी में ढल गया. इसलिए बुरा नहीं लगता था, शायद मैं उसका आदी हो गया था.
Exclusive: लोग ताने देते हैं..पैसे की इतनी क्या जरूरत कि बच्चा छोड़कर आ गई, भारती सिंह ने कहा
राधे मां काफी विवादास्पद संत रही हैं. हरजिंदर इसपर कहते हैं कि लोगों का काम तो कहने का है. जब देवी मां बिग बॉस हाउस गई थीं, तो वो कंटेस्टेंट के तौर पर नहीं गई थीं, वो वहां लोगों को आशीर्वाद देने गई थीं. अब लोगों ने इसे किस तरीके से लिया है, ये तो उनके ऊपर है. हर किसी का नजरिया है, लोगों ने उन्हें बुरा-भला भी कहा. आप हर किसी से बहस भी नहीं कर सकते हैं. एक बेटे के तौर पर जाहिर सी बात है कि मां को कोई कुछ कहे, तो खून जरूर खौलेगा. लेकिन मैं किस-किससे लड़ने जाऊं. मेरी मां ने कभी किसी समुदाय, व्यक्ति या जाति का बुरा नहीं किया है, तो फिर क्यों लोग उनपर सवाल उठाते हैं. बिना जाने या मिले उसके बारे में धारणा बनाना तो गलत है न.
हरजिंदर कहते हैं कि मैं चाहता तो मां के नाम को इनकैश कर अपने करियर को आगे बढ़ा सकता था लेकिन कभी दिल से ये बात आई ही नहीं. देवी मां भी यही कहती हैं कि खुद से मेहनत कर अपना नाम बना. इसलिए मैं अपनी पहचान को लेकर चुप ही रहता हूं. दूसरा ये भी डर था कि पता नहीं लोग इस पर कैसे रिएक्ट करेंगे. वैसे ये फील्ड ऐसी है कि आप चाहे कितना भी छुपा लें, वो बात बाहर आ ही जाती हैं.