हरियाणा में बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है. पार्टी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है, वहीं कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई है. इन नतीजों को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया था कि हिसार, महेंद्रगढ़ और पानीपत से शिकायतें मिली हैं कि 99 प्रतिशत बैटरी वाली ईवीएम पर भाजपा जीती, जबकि 60-70 प्रतिशत बैटरी वाली ईवीएम पर कांग्रेस जीती. वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि क्या आप इस साजिश को समझ गए हैं, जहां ईवीएम में 99 प्रतिशत बैटरी थी, वहां बीजेपी जीत गई, जहां 70 प्रतिशत से कम बैटरी थी, वहां कांग्रेस जीत गई. अगर यह साजिश नहीं है तो क्या है? उन्होंने कहा कि अब तक 12 से 14 सीटों पर शिकायतें आई हैं.
इसे लेकर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया आई है. ईवीएम की एल्कलाइन बैटरी को लेकर चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि इसका आंकड़ों से कोई लेना देना नहीं है. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक ईवीएम के कंट्रोल यूनिट में एल्कलाइन बैटरी का उपयोग होता है. कंट्रोल यूनिट में नई बैटरी ईवीएम की कमिशनिंग के दिन उम्मीदवारों की उपस्थिति में डालकर सील की जाती है. ईवीएम में 7.5 वॉल्ट की एल्कलाइन बैटरी लगती है, अमूमन पूरी चार्ज बैटरी 7.58 से 7.4 वॉल्ट के बीच 99% तक चार्ज बताती है. इस्तेमाल के दौरान जब वो 5.4 पर पहुंचती है, तो 10% दिखाती है. उसी समय मशीन बताती है कि बैटरी बदलने की जरूरत है.
विशेषज्ञों ने कहा कि मतदान पूरा होने के बाद मशीनों को सीलबंद करते वक्त सभी उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों के एजेंटों के सामने उनके दस्तखत के साथ बैटरी के आंकड़े भी फॉर्म 17 C में दर्ज किए जाते हैं, लेकिन बंद मशीन में भी बैटरी थोड़ी बहुत ही सही, लेकिन अपने आप थोड़ी बढ़ती है यानी रिस्टोर भी होती है.
बैटरी की खपत इस बात पर भी निर्भर करती है कि किस मशीन से कितनी मॉक पोलिंग हुई. वास्तविक मतदान शुरू होने से पहले कितनी बार मॉक और डिलीट किया गया, इसे हम यूं भी समझ सकते हैं.
EVM में लगने वाली बैटरी प्रारंभ में 7.5 से 8 के बीच वॉल्टेज दिखाती है, इसीलिए वॉल्टेज के 7.4 के ऊपर रहने पर बैटरी की क्षमता 99% प्रदर्शित होती है. उपयोग के साथ बैटरी की क्षमता और वॉल्टेज भी घटता जाता है. जैसे-जैसे वोल्टेज 7.4 से कम होता जाता है, बैटरी की क्षमता 98% से 10% के बीच दिखती जाती है. बैटरी में 5.8 से अधिक वॉल्ट यानी 10% क्षमता के अधिक रहने पर कंट्रोल यूनिट कार्यरत रहती है. वॉल्टेज 5.8 यानी 10% के बराबर होने पर बैटरी बदलने का संकेत कंट्रोल यूनिट के डिस्प्ले पर आता है. ये बिलकुल वैसा ही है, जैसे गाड़ी में रिजर्व फ्यूल का संकेत आता है.
काउंटिंग के दिन बैटरी की शेष क्षमता कंट्रोल यूनिट के ऊपर किए गए मॉक पोल, वास्तविक पोल और बैटरी की प्रारंभिक वॉल्टेज (8 से 7.5) पर निर्भर करती है, ये बिलकुल वैसा ही है जैसे दिल्ली से जयपुर अलग-अलग लंबाई के रास्तों से जा सकते है. दिल्ली से फुल टैंक लेकर चलने पर भी जयपुर पहुंचने पर टैंक का लेवल अलग-अलग हो सकता है. सामान्यतः एल्कलाइन बैटरी का ये गुण होता है कि इसे स्विच ऑफ रखने पर भी इसकी वॉल्टेज को स्वयं कुछ हद तक पुनः बढ़ाने (regain voltage) की क्षमता होती है.