जेफरी सी हॉल, माइकल रोसबाश और माइकल डब्ल्यू यंग को चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए इस साल नोबेल पुरस्कार के सम्मानित किया गया है. इन तीनों को बॉडी क्लॉक पर रिसर्च करने के लिए इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
नोबेल पुरस्कार समिति ने बताया है कि इन तीनों ने इंसान के सोने-जागने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाली बायोलॉजिकल क्लॉक (जैविक घड़ी) पर शोध किया, जिस कारण इन्हें सम्मान के लिए चुना गया.
क्या है जैविक घड़ी
आपने कभी सोचा है कि इंसान को रात में एक तय समय पर ही क्यों नींद आती है. जब ना चाहकर भी उसकी पलकें झपकने लगती हैं. तब ऐसा लगता है कि मानो नींद उस पर हावी हो गई हो. ऐसा ही कुछ सुबह के समय भी होता है. जब एक तय समय या उसके आसपास नींद खुल जाती है. ऐसा होता क्यों है...
ऐसे ही सवालों के जवाब जानने के लिए 1984 में हॉल और रोसबाश ने मिलकर ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी में शोध आरंभ किया. इसी तरह की खोज यंग भी रॉकफेलर यूनिवर्सिटी में कर रहे थे.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ये सभी 10 साल बाद एक साथ मिले. तीनों ने निष्कर्ष निकाला कि ये सब बायोलॉजिकल क्लॉक के कारण होता है. साधारण भाषा में आप इसे प्राकृतिक घड़ी भी कह सकते हैं. वैज्ञानिकों ने शोध में यह भी अध्ययन किया कि एक दिन के 24 घंटे के पूरे साइकिल में शरीर में कैसे-कैसे बदलाव होते हैं.
सबसे आश्चर्यजनक बात तो ये है कि इस घड़ी का संबंध पृथ्वी के रोटेशन से होता है. तभी तो ये दिन-रात के अनुसार काम करती है.
Our biological clock helps to regulate sleep patterns, feeding behavior, hormone release and blood pressure #NobelPrize pic.twitter.com/NgL7761AFE
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 2, 2017
देखें कैसे काम करती है ये क्लॉक
सुबह 4.30 बजे- ये वो समय होता है जब शरीर का तापमान सबसे कम होता है.
सुबह 7.30 बजे- मेलाटोनिन स्त्राव (जिससे नींद आती है) बंद हो जाता है.
दोपहर 2.30 बजे- शरीर के सभी अंगों में इस समय सबसे अच्छा समन्वय देखा जाता है.
शाम 6.30 बजे- शरीर में सर्वाधिक ब्लडप्रेशर.
रात 7.00 बजे- बॉडी टेम्परेचर में बढ़ोत्तरी देखी जाती है.
रात 9.00- नींद आनी शुरु होती है क्योंकि मेलाटोनिन स्त्राव आरंभ हो जाता है.