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वंदे मातरम् का पूरा हिंदी अनुवाद... पढ़ें-इसमें क्या-क्या कहा गया है?

'वंदे मातरम' गीत पर संसद में चर्चा हो रही है. इस साल इस गीत की 150वीं वर्षगांठ है. यही वजह है कि भारत के लिए इसके महत्व को लेकर उस पर संसद में चर्चा के लिए विशेष सत्र का आयोजन किया गया है. ऐसे में जानते राष्ट्रीय गीत का पूरा मतलब.

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राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे हो चुके हैं (Photo - DOPT)
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे हो चुके हैं (Photo - DOPT)

वंदे मातरम... भारत का राष्ट्रीय गीत है. इस गीत की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर लोकसभा में इस पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया है. इस पर 10 घंटे तक चर्चा होगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस चर्चा की शुरुआत करेंगे. ऐसे में जानते हैं कि आखिर इस गीत का मतलब क्या है.

'वंदे मातरम' को 1950 में  संविधान सभा ने राष्ट्रीय गीत के तौर पर अपनाया था. तब से ये भारत का राष्ट्रीय गीत है. इस गीत की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी. उन्होंने इसे अपने उपन्यास 'आनंदमठ' के एक हिस्से के रूप में 1882 में प्रकाशित किया था, लेकिन बंकिम चंद्र चट्टोपा्ध्याय ने इसकी रचना इससे भी पहले की थी. पहली बार यह 7 नंवबर 1875 को 'बंगदर्शन' पत्रिका में प्रकाशित हुआ था.

सबसे पहले बंगदर्शन में हुआ था प्रकाशित
बंगाली मासिक पत्रिका 'बंगदर्शन' में यह गीत धारावाहिक के रूप में छपा था, जिसके संस्थापक संपादक बंकिम थे. 1907 में, मैडम भीकाजी कामा ने पहली बार भारत के बाहर स्टटगार्ट, बर्लिन में तिरंगा झंडा फहराया था. उस झंडे पर वंदे मातरम लिखा हुआ था.

पहली बार इस शख्स ने गाया था ये गीत
वंदे मातरम का मतलब होता है - मां मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं. इस गीत को पहली बार 1896 में कलकत्ता में कांग्रेस अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने गाया था. रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे संगीतबद्ध भी किया था.

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राजनीतिक नारे के तौर पर पहली बार वंदे मातरम का इस्तेमाल 7 अगस्त 1905 को किया गया था.अगस्त 1906 में, बिपिन चंद्र पाल के संपादन में 'बंदे मातरम' नाम का एक अंग्रेजी दैनिक  शुरू हुआ, जिसमें बाद में श्री अरबिंदो संयुक्‍त संपादक के रूप में शामिल हुए.

ये है वंदे मातरम गीत का मतलब 

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!

हे मातृभूमि! मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं, तुम्हारी वंदना करता हूं. जो जल से भरपूर है, और फलों-फसलों से समृद्ध है, जिसकी हवा मलय पर्वत से आने वाली ठंडी, सुगंधित हवा जैसी शीतल है. जिसकी धरती हरी-भरी फसलों से लहलहा रही है — ऐसी माँ (मातृभूमि)... हे माँ! मैं तुझे प्रणाम करता हूं.

शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

वो जिसकी रात्रि को चांद की रोशनी शोभायमान करती है, वो जिसकी भूमि खिले हुए फूलों से सुसज्जित पेड़ों से ढकी हुई है. सदैव हंसने वाली, मधुर भाषा बोलने वाली, सुख देने वाली, वरदान देने वाली मां तुम्हें मेरा प्रणाम है.

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