सुप्रीम कोर्ट ने इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (IBC) की धारा 3 और 10 के प्रावधान को वैध ठहरा दिया है. इससे डिफॉल्ट करने वाले बिल्डर्स के खिलाफ दिवालियापन का मामला दर्ज करना आसान नहीं होगा. आइए जानते हैं कि इससे क्या बदलाव होगा और मकान खरीदारों पर इसका क्या असर होगा? (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन की अगुवाई वाली बेंच ने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान आईबीसी की धारा-3 और 10 के प्रावधान को वैध ठहराया है. यानी अब कम से कम 100 बायर्स के साथ हों तभी नेशनल कंपनी लॉ बोर्ड के सामने अर्जी दाखिल हो सकती है. (फाइल फोटो)
पहले के नियम के तहत एनसीएलटी में डिफॉल्ट करने वाले बिल्डर के खिलाफ एक बॉयर भी अर्जी दाखिल कर सकता था. जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन ने इस मामले में दायर करीब 40 याचिकाओं को खारिज कर दिया.अदालत ने कहा कि इस मामले में किए गए संशोधन और कानूनी प्रावधान वैध हैं और संवैधानिक अधिकार का हनन नहीं करते. (फाइल फोटो)
धारा-3 के तहत प्रावधान है कि इन्सॉल्वेंसी अर्जी तभी दाखिल हो सकती है जब बिल्डर के खिलाफ कम से कम 100 आवंटियों की अर्जी हो या फिर कुल अलॉटी का 10 फीसदी (जो संख्या कम हो). यानी अब डिफॉल्ट करने वाले बिल्डर के खिलाफ मामला दर्ज करना आसान नहीं रह जाएगा. (फाइल फोटो)