अमेरिका की राजनीतिक मामलों की उप विदेश मंत्री एलिसन हूकर रविवार से भारत के पांच दिवसीय दौरे पर हैं. उनके इस दौरे का उद्देश्य भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाना है.
बताया जा रहा है कि 7 से 11 दिसंबर तक चलने वाली हूकर की इस यात्रा का फोकस अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना, आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को गहरा करना- जिसमें अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा देना तथा उभरती तकनीकी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोग को प्रोत्साहित करना है.
अमेरिकी दूतावास के अनुसार, एलिसन हूकर का ये दौरा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें मजबूत अमेरिका-भारत साझेदारी और मुक्त एवं खुला इंडो-पैसिफिक क्षेत्र शामिल है.
दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात
हूकर के दौरे को लेकर जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली पहुंचने पर हूकर वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से मुलाकात करेंगी. इन चर्चाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग तथा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में साझा प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
विशेष रूप से विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ फॉरेन ऑफिस कंसल्टेशंस के दौरान महत्वपूर्ण बातचीत होगी. अमेरिकी दूतावास ने कहा कि ये बैठकें दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा प्रदान करेंगी.
ISRO का करेंगी दौरा
बयान में कहा गया है कि उनकी यात्रा का दूसरा चरण बेंगलुरु में होगा, जहां हूकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) का दौरा करेंगी. इसके अलावा वे भारत के गतिशील अंतरिक्ष, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के नेताओं से मिलेंगी.
रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा
इन बैठकों का उद्देश्य अमेरिका-भारत अनुसंधान (रिसर्च) साझेदारियों में इनोवेशन को बढ़ावा देना और विस्तारित सहयोग के अवसरों की खोज करना है. ये कदम दोनों देशों के बीच उभरती तकनीकों में साझा प्रयासों को मजबूत करेगा.
बता दें कि हूकर का ये दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब अमेरिका और भारत के संबंधों तनाव बढ़ गया है, क्योंकि वाशिंगटन ने भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया है. जिसमें रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए 25 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है.
विशेषज्ञों का मानना है कि ये यात्रा व्यापार वार्ताओं को गति देने की कोशिश हो सकती है, जिसमें टैरिफ में छूट या व्यापार समझौते पर चर्चा हो सकती है.
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