खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को पांच महीने बीत चुके हैं. 18 जून 2023 को कनाडा के सरे शहर में गुरुद्वारे के बाहर निज्जर की गोली मारकर हत्या की गई थी. इन पांच महीनों में कनाडा ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाया है, जिससे यह साबित हो सके की कनाडा में हुई निज्जर की हत्या में भारत डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर शामिल था. जस्टिन ट्रूडो की कंस्पिरेसी थ्योरी पर अब भी सवालिया निशान लगा हुआ है. इस बीच अमेरिका ने नया शिगूफा छेड़ दिया है.
अमेरिका के इस शिगूफे की शुरुआत ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की उस रिपोर्ट से हुई है, जिसमें दावा किया गया कि भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatwant Singh Pannun) की अमेरिका में हत्या की साजिश रची गई, लेकिन इसे अमेरिका ने नाकाम कर दिया. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि इस मामले को अमेरिका ने भारत सरकार के सामने उठाया है. इसलिए साजिश करने वालों ने अपना प्लान ही बदल दिया.
अमेरिका के खुफिया इनपुट्स पर भी उठे सवाल
इस मुद्दे को भारत के सामने उठाने की बात पर अमेरिका ने खुद मुहर लगा दी है. यूएस की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने कहा है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. भारत ने भी इस पर बयान जारी करते हुए कहा है कि भारत अमेरिका से मिले खुफिया इनपुट को गंभीरता से लेता है. हालांकि, कनाडा की तरह अमेरिका के खुफिया इनपुट्स पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि अब तक यह सामने नहीं आया है कि क्या अमेरिका ने इस साजिश से जुड़ा कोई सबूत भारत के साथ साझा किया है. सोशल मीडिया पर भारत के लोग इसे कनाडा की तरह ही अमेरिकी कंस्पिरेसी थ्योरी करार दे रहे हैं.
US को निज्जर केस की जांच पूरी होने का इंतजार!
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अब अमेरिकी न्याय विभाग इस पर चर्चा कर रहा है कि क्या इस गोपनीय मुकदमे में लगए गए आरोपों को सार्वजनिक किया जाए या फिर निज्जर मर्डर केस की जांच पूरी होने तक इंतजार किया जाए. इस मामले में जिस शख्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, उसने अमेरिका छोड़ दिया है. अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने कहा है कि अमेरिका कानूनी मामले या फिर निजी राजनयिक चर्चा पर टिप्पणी नहीं करता, लेकिन अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है.
क्या दोनों देशों के संबंधों पर पड़ेगा असर?
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या इन आरोपों का असर भारत और अमेरिका के रिश्तों पर पड़ेगा. क्योंकि, कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर मर्डर में शामिल होने का आरोप लगाया था. उनके इस बयान के बाद ही कनाडा और भारत के रिश्ते अब तक के सबसे निचले स्तर पर चले गए थे. भारत सरकार ने ट्रूडो के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए जबरदस्त पलटवार किया और आरोप साबित करने के लिए सबूत पेश करने के लिए कहा. इसके बाद भारत ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए कनाडा से अपने गैरजरूरी राजदूतों को भारत से वापस बुला लेने के लिए कहा. इतना ही नहीं भारत ने काफी दिनों तक कनाडाई नागरिकों को वीजा भी जारी नहीं किया. अब ऐसे में अमेरिका के इन आरोपों के बाद भी यूएस और भारत के रिश्तों पर इसका असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि, इसकी उम्मीद कम इसलिए भी है, क्योंकि अमेरिका ने सार्वजनिक तौर कहीं भी कनाडा की तरह बयान जारी नहीं किया है और कई मायनों में अमेरिका को भी भारत की जरूरत है.
फाइनेंशियल टाइम्स ने रिपोर्ट में ये कहा
रिपोर्ट में कहा गया है कि साजिश में निशाने पर भारत में बैन आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' का चीफ और अमेरिकी एवं कनाडाई नागरिक पन्नू था. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिका ने कनाडाई सिख हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद अपने कुछ सहयोगी देशों को पन्नू की हत्या की साजिश के बारे में बताया था. बता दें कि इस साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया था.
हत्या की साजिश पर पन्नू ने साधी चुप्पी
इस मामले पर पन्नू ने भी कुछ कहने से इनकार कर दिया है. यह पूछे जाने पर कि क्या इस साजिश को लेकर अमेरिकी प्रशासन ने उन्हें चेतावनी दी थी या नहीं? इस पर पन्नू ने कहा कि वह चाहता है कि अमेरिकी सरजमीं पर मेरी जान के खतरे के मामले पर अमेरिकी सरकार प्रतिक्रिया दे.पन्नू ने कहा कि अमेरिकी नागरिक और अमेरिकी जमीं पर खतरा अमेरिका की संप्रभुता के लिए चुनौती है. मेरा विश्वास है कि बाइडेन सरकार इस तरह की किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है.
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