चीन को एक साथ 10 देशों ने दिया बड़ा झटका

चीन की प्रशांत महासागर में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के प्रभाव को कम करने की मंशा है. इसी के तहत चीन को क्षेत्र के दस देशों से सुरक्षा समझौते की उम्मीद है, जिस पर अब पानी फिर चुका है.

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चीन के विदेश मंत्री वांग यी (photo: reuters) चीन के विदेश मंत्री वांग यी (photo: reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST
  • प्रशांत महासागर के दस देशों ने समझौते को ठुकराया
  • चीन का बढ़ता प्रभाव बनी वजह

चीन को प्रशांत महासागर क्षेत्र के दस देशों से करारा झटका मिला है. दक्षिणी प्रशांत के इन द्वीपीय देशों ने चीन के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा समझौता करने से इनकार कर दिया है. इसे चीन की बहुत बड़ी कूटनीतिक हार के रूप में देखा जा रहा है.

सुरक्षा समझौते पर चीन के विदेश मंत्री वांग यी और इन दस देशों के नेताओं के बीच फिजी में बातचीत हुई, जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंची.

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चीन की दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के प्रभाव को सीधे चुनौती देते हुए अपना दबदबा बढ़ाने की मंशा है.

इस समझौते के तहत क्षेत्र में साइबर सिक्योरिटी को बढ़ाया जाना था. राजनीतिक संबंधों के विस्तार से लेकर मरीन मैपिंग, पानी और जमीन पर प्राकृतिक संसाधनों तक अधिक पहुंच बनाने की भी योजना बनाई गई थी.

इस समझौते के बदले में चीन इन देशों को लाखों डॉलर की आर्थिक मदद का लालच दे रहा है. चीन, प्रशांत महासागर देशों को मुक्त व्यापार समझौते और चीन के 1.4 अरब लोगों के बाजार तक पहुंच बनाने का भी लालच दे रहा है.

हालांकि, इन देशों ने इस प्रस्ताव को लेकर गहरी आशंका जताई.

माइक्रोनेशिया के राष्ट्रपति डेविड पैनुएलो ने सभी सहयोगी देशों के नेताओं को लिखे पत्र में चेतावनी दी थी कि यह प्रस्ताव छलावा हो सकता है. इसके जरिये चीन हमारी सरकार को प्रभावित करने और हमारे प्रमुख उद्योगों पर आर्थिक नियंत्रण की कोशिश करेगा.

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इन देशों के नेताओं ने चीन के इस प्रस्ताव पर असहमति जताई. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सहमति नहीं बन पाने की वजह से वे इसका हिस्सा नहीं बन सकते.

फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनीमारामा ने बैठक के बाद कहा, हम सबसे पहले आम सहमति को तवज्जो देते हैं.

पापुआ न्यू गिनी, समोआ और माइक्रोनेशिया भी इस समझौते को लेकर चिंतित थे.

पापुआ न्यू गिनी के विदेश मंत्री सोरोई ईओ ने कहा, हम इसके बजाय चीन के साथ अपने सुरक्षा मुद्दों से निपटना चाहते हैं.

चीन के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने समझौते पर इन देशों से समर्थन मांगा था लेकिन शायद इसमें कहीं कोई कमी रह गई.

फिजी में चीन के राजदूत कियान बो ने सुवा में कहा, हमें 10 देशों से सामान्य समर्थन मिला है लेकिन यकीनन कुछ मुद्दों को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं. सहमति बनी है कि इन दस्तावेजों पर बाद में चर्चा की जाएगी.

इस बीच वांग ने ऐलान किया कि बेशक यह समझौता नहीं हुआ हो लेकिन चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना को लेकर इन दस देशों के बीच आम सहमति बनी है.

उन्होंने कहा, दोनों पक्षों के बीच चर्चा जारी रहेगी.

वांग यी ने चीन की मंशा को लेकर चिंतित देशों से आग्रह किया कि वे इसे लेकर परेशान नहीं हो.

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बता दें कि इस पूरे प्रस्ताव को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन यह मीडिया में लीक हो गया है.

पश्चिमी देशों ने क्षेत्र में चीन के इस कदम को लेकर नाराजगी जताई है.

अमेरिकी विदेश विभाग ने दक्षिण प्रशांत देशों को कम पारदर्शिता वाले अस्पष्ट समझौतों से दूरी बनाने को कहा है.

ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि चीन इस क्षेत्र में अपना विस्तार करने का प्रयास कर रहा है.

ऑस्ट्रेलिया के नए विदेश मंत्री ने इस तरह के समझौतों के खामियाजे को लेकर चेतावनी दी है.

हालांकि, अधिकतर देश चीन के साथ दोस्ताना संबंध बनाने को उत्सुक हैं.

वे चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ भी संबंधों में संतुलन लाना चाहते हैं. इसके साथ ही उनका ध्यान जलवायु परिवर्तन के खतरे और आर्थिक मुद्दों पर भी है.

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