'मानवाधिकारों पर भारत को उपदेश देने से काम नहीं चलेगा...', भारतीय मूल के सांसदों ने अमेरिकी सरकार को दिखाया आईना

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने 'देसी डिसाइड्स समिट' के दौरान भारतीय अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि भारत 100 से भी अधिक सालों तक गुलाम रहा इसलिए जब भी हम मानवाधिकारों के बारे में बात करते हैं, जब आप विदेश मंत्री जयशकंर या अन्य किसी के साथ बात करते हैं तो आपको ये समझना होगा कि ये केवल भारत को सिर्फ उपदेश देने से काम नहीं चलेगा.

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Ro Khanna Ro Khanna

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 मई 2024,
  • अपडेटेड 11:12 AM IST

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने मानवाधिकारों को लेकर भारत पर उठाई जा रही उंगलियों पर दो टूक कहा है कि इस मुद्दे पर भारत को उपदेश देने के बजाए उनके साथ बातचीत करने की जरूरत है.

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने 'देसी डिसाइड्स समिट' के दौरान भारतीय अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि भारत पर 100 से अधिक सालों तक ब्रिटिश हुकमूत का राज रहा इसलिए जब भी हम मानवाधिकारों के बारे में बात करते हैं, जब आप विदेश मंत्री जयशकंर या किसी अन्य अधिकारी के साथ बात करते हैं तो आपको ये समझना होगा कि केवल भारत को सिर्फ उपदेश देने से काम नहीं चलेगा. आपको समस्याओं पर बात कर उसका समाधान खोजना होगा.

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खन्ना ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत के साथ बातचीत करना अधिक रचनात्मक होगा क्योंकि हमारे और आपके लोकतंत्र में खामियों पर बात करना ही जरूरी होगा. हमें बात करनी होगी कि हम सामूहिक रूप से लोकतंत्र और मानवाधिकारों को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं. 

इस समिट में कांग्रेसनल इंडिया कॉकस के सहअध्यक्ष खन्ना के साथ तीन और भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद मौजूद थे, जिनमें श्री थानेदार, प्रमिला जयपाल और डॉ. एमी बेरा ने भी रचनात्मक बातचीत पर जोर दिया. 

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद बेरा ने खन्ना से सहमति जताते हुए कहा कि मैंने भी यही बात भारत के विदेश मंत्री के समक्ष भी उठाई थी. अगर भारत अपने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की पहचान को खो देगा तो राष्ट्र के तौर पर उसकी पहचान बदल जाएगी.

इस दौरान प्रमिला जयपाल ने कहा कि हमें एक राष्ट्र के तौर पर अपनी खामियों और किसी अन्य देश की खामियों की आलोचना करने में सक्षम होना चाहिए. यही संसद का असल काम है. हमें उपदेश नहीं देना चाहिए, मैं रो खन्ना से सहमत हूं. हमें अमेरिका के हितों के बारे में सोचना होगा, निश्चित रूप से आर्थिक पहलू अहम है लेकिन भारत हमारा एक महत्वपूर्ण भागीदार है. हमें अमेरिका और भारत के बीच मजबूत रिश्तों की जरूरत है.

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