फिलिस्तीन की राजनीति में बदलाव की संभावना, राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अपने डिप्टी का किया ऐलान

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अपने डिप्टी के रूप में हुसैन अल-शेख के नाम का ऐलान किया है. यह फैसला पीएलओ द्वारा घोषित किया गया. जानकारों का मानना है कि यह कदम फिलिस्तीनी नेतृत्व में स्थिरता लाने की कोशिशों का हिस्सा है, और संभावित रूप से हुसैन ही अब्बास के उत्तराधिकारी भी हो सकते हैं.

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फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास (फोटो - रॉयटर्स) फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास (फोटो - रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अपने डिप्टी का ऐलान किया है, जो आने वाले समय में उनके उत्तराधिकारी भी हो सकते हैं. इस डिप्टी पोस्ट के लिए उन्होंने अपने करीबी सहयोगी हुसैन अल-शेख को नामित किया है. इस फैसले का फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) ने शनिवार को ऐलान किया. 

89 वर्षीय महमूद अब्बास 2004 में यासिर अराफात की मृत्यु के बाद PLO और फलीस्तीनी ऑथोरिटी (PA) की बागडोर संभाल रखी है. लंबे समय से उनके पद पर बने रहने को लेकर विरोध होता रहा है. अब्बास फतह पार्टी के नेता हैं, जिसका पीएलओ और पीए पर प्रभुत्व है. 2007 में संसद को भंग करने के बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ है, और वह तभी से इस पद पर बने हुए हैं.

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अब्बास पर संसद स्थापित नहीं करने के लगे थे आरोप

आलोचक अब्बास पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि उन्होंने संसद को फिर स्थापित करने की कोशिशें कम ही किए हैं. अब जबकि संसद नहीं है, और अब्बास की टीम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व के मुद्दे को सुलझाने का भी दबाव था तो उन्होंने डिप्टी पद बनाने जैसे कदम उठाए हैं. इसी मुद्दे को सुलझाने के लिए पीएलओ ने 24 अप्रैल को एक मीटिंग की थी, जिसमें नेतृत्व के मुद्दे पर बात हुई थी.

अरब समिट में हुई थी नेतृत्व बदलाव की बात

अब्बास ने मार्च की शुरुआत में एक आपात अरब शिखर सम्मेलन के दौरान नेतृत्व बदलाव की बात पर हामी भरी थी. एक्सपर्ट मानते हैं कि अब्बास ने बाद में पावर स्ट्रगल को खत्म करने के लिए डिप्टी पोस्ट बनाए हैं. खासतौर से इंटरनल पावर स्ट्रगल से इजयार फायदा उठा सकता था, लेकिन अगर पहले से ही नेतृत्व तय होंगे तो इससे बचा सकेगा.

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कुछ एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि अब्बास के डिप्टी पद ऐलान करने के बाद भी भविष्य में पावर स्ट्रगल देखने को मिल सकता है. इस फैसले पर महमूद अब्बास का कहना है कि यह फलीस्तीनी नेतृत्व में स्थिरता लाने की कोशिश है, जिससे कि दुनिया को यह संदेश दिया जा सके कि फिलीस्तीन एक संगठित और मजबूत नेतृत्व को बनाए रख सकता है. 

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