ऑक्सफोर्ड यूनियन से जुड़ा एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसमें पाकिस्तान के ऑक्सफोर्ड यूनियन अध्यक्ष मूसा हर्राज पर एक ऐसी बहस में पाकिस्तान की "जीत" का दावा करने का आरोप लगा है, जो असल में कभी आयोजित ही नहीं हुई थी. प्रस्ताव था, "भारत की पाकिस्तान नीति क्या सुरक्षा के नाम पर बेची गई एक जनलुभावन रणनीति है?"
हालांकि, इसी विषय पर नवंबर में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच एक अलग बहस हुई थी, जिसमें भारतीय पक्ष ने पाकिस्तानी तर्कों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था. इस बहस के मुख्य वक्ता रहे मुंबई में जन्मे भारतीय छात्र विरांश भानुशाली, जो ऑक्सफोर्ड में कानून की पढ़ाई कर रहे हैं.
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बहस का वीडियो अब सामने आया है और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. भानुशाली ने अपने भाषण की शुरुआत 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की व्यक्तिगत पीड़ा से की. उन्होंने बताया कि कैसे उनका परिवार और पूरा मुंबई शहर उन तीन रातों में दहशत के साए में जी रहा था. उन्होंने कहा कि आतंकवाद उनके लिए कोई सैद्धांतिक बहस नहीं, बल्कि जीया हुआ सच है.
26/11, पठानकोट, उरी और पुलवामा हमले का जिक्र
भानुशाली ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "भारत की सख्त नीति को जनलुभावन बताना वैसा ही है जैसे किसी से यह कहना कि दरवाजों पर ताले सिर्फ दिखावे के लिए हैं, जबकि पड़ोस में चोरियां हो रही हों." उन्होंने 1993 मुंबई बम धमाकों, 26/11, पठानकोट, उरी और पुलवामा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में आतंक किसी चुनाव की वजह से नहीं, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित संगठनों की साजिशों के कारण हुआ. उन्होंने कहा, "इस बहस को जीतने के लिए मुझे भाषणबाज़ी की जरूरत नहीं, मुझे सिर्फ एक कैलेंडर चाहिए."
ऑपरेशन सिंदूर पर पाकिस्तानी ग्रुप को दिया जवाब
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए भानुशाली ने कहा कि भारत ने आतंक के ठिकानों को सटीक तरीके से नष्ट किया, लेकिन युद्ध नहीं थोपा. उन्होंने कहा, "यह न तो जनलुभावन था और न ही दिखावा, यह पेशेवर और जिम्मेदार कार्रवाई थी."
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पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, "जब भारत युद्ध के बाद पायलटों की ब्रीफिंग करता है, पाकिस्तान जश्न के गीत ऑटो-ट्यून करता है. जब आप अपने लोगों को रोटी नहीं दे सकते, तो उन्हें तमाशा देते हैं."
ऑक्सफोर्ड यूनियन में विवाद और सियासी खेल
गौरतलब है कि पाकिस्तानी पक्ष का नेतृत्व करने वाले मूसा हर्राज, पाकिस्तान के संघीय रक्षा उत्पादन मंत्री के बेटे हैं. इससे पहले भारतीय वक्ताओं ने आरोप लगाया था कि विशेषज्ञ-स्तरीय बहस को जानबूझकर खराब किया गया. कुल मिलाकर, जहां एक ओर ऑक्सफोर्ड यूनियन में विवाद और सियासी खेल देखने को मिला, वहीं एक भारतीय छात्र ने तथ्यों, इतिहास और व्यक्तिगत अनुभव के दम पर पाकिस्तान के आतंकवाद संबंधी झूठे नैरेटिव को बेनकाब कर दिया.
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