लेबनान पर हमले के बाद से इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) एक बार फिर सुर्खियां बटोर रही है. मोसाद को दुनिया की सबसे खुफिया और सबसे सफल जासूसी एजेंसी के तौर पर देखा जाता है. लेकिन यह इजरायल की ऐसी इकलौती एजेंसी नहीं है, जो पूरी तरह से हाईटेक है और आउट ऑफ द बॉक्स कारनामों के लिए जानी जाती है जबकि ऐसी दो और एजेंसियां हैं, जो इजरायल को सुपरटफ देश के तौर पर पेश करती हैं.
मोसाद के अलावा अमान (Aman) और शिन बेत (Shin Bet) इजरायल की प्रमुख जांच एजेंसियां हैं. ये तीनों एजेंसियां अलग-अलग मोर्चों पर सुरक्षा के काम में मुस्तैद रहती हैं. जहां एक तरफ अमान सैन्य इंटेलिजेंस से जुड़ी हुई है तो मोसाद खुफिया ऑपरेशन को अंजाम देती है जबकि शिन बेत घरेलू सुरक्षा का जिम्मा उठाए हुए है.
Aman के Unit 8200 ने ही दिया था लेबनान ब्लास्ट को अंजाम!
अमान (Aman) इजरायल डिफेंस फोर्सेज की सैन्य इंटेलिजेंस इकाई है. इसकी स्थापना 1950 में की गई थी. यह एक स्वतंत्र इकाई है, जो सैन्य खुफिया जानकारी मुहैया कराती है. इसका काम खुफिया जानकारी इकट्ठा कर उसे सरकार को मुहैया कराना है ताकि देश को सुरक्षित रखा जा सके. यह एजेंसी सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसकी गिनती दुनिया की प्रमुख इंटेलिजेंस इकाइयों में होती है.
अमान की एक साइबर वारफेयर ब्रांच भी है, जिसका नाम Unit 8200 है. इसके अलावा Aman के तहत Unit 504 और Unit 81 जैसी इंटेलिजेंस यूनिट भी है. Unit 8200 ने ही हाल ही में लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी.
यूनिट 8200 कई बड़े ऑपरेशंस में शामिल रही है. ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बर्बाद करने में इस यूनिट की बड़ी भूमिका मानी जाती है. कहा जाता है कि इस यूनिट ने Struxnet नाम का एक वायरस तैयार किया था, जिसका इस्तेमाल कर इस यूनिट ने ईरान के परमाणु संयत्रों पर हमला किया था. यह वायरस परमाणु संयत्रों में लगे सेंट्रीफ्यूज को अंदर से ही जला देता था. इसकी जानकारी लम्बे समय तक ईरान को नहीं हो पाई. इसके अलावा यूनिट 8200 ने 2018 में संयुक्त अरब अमीरात से ऑस्ट्रेलिया जा रहे एक विमान को हाइजैक होने से बचाया था.
क्या काम करता है शिन बेत?
jewish Defence Library की वेबसाइट के मुताबिक, शिन बेत पर इजरायल की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी है. यह आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मामलों को देखती है. इसके Shabak के नाम से भी जाना जाता है, जिसका काम है- सुरक्षा करो लेकिन नजर में मत आओ.
यह एजेंसी इजरायल के प्रधानमंत्री, शीर्ष नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराती है. राष्ट्रीय एयरलाइन की रक्षा करती है और घरेलू एवं विदेशों में संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा करती है.
दुनिया की सबसे सफल जासूसी एजेंसी है मोसाद
मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है. यह इजरायल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है. मोसाद इजरायल इंटेलिजेंस नेटर्वक के तहत काम करती है. इस नेटवर्क में मोसाद के अलावा अमान (सैन्य इंटेलिजेंस) और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा) भी हैं.
मोसाद का गठन इजरायल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियोन के आदेश पर 13 दिसंबर 1949 में हुआ था. दरअसल पीएम डेविड एक ऐसे संगठन को तैयार करना चाहते थे, जो सेना के साथ मिलकर देश की सुरक्षा के लिए खुफिया तौर पर काम करता रहे.
मोसाद खुफिया जानकारियों को इकट्ठा कर अपने ऑपरेशंस को अंजाम देता है. इसके अधिकतर ऑपरेशंस देशहित में होते हैं. आतंकवाद से निपटने के लिए भी मोसाद इस तरह के खुफिया ऑपरेशन में जुटा रहता है. मोसाद के निदेशक सीधे प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करते हैं.
एक अनुमान के मुताबिक, मोसाद का सालाना बजट 2.73 अरब डॉलर है. भारतीय करेंसी के हिसाब से यह 22810 करोड़ रुपये है, जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिलती है. अनुमान के ही मुताबिक मोसाद के तहत लगभग 7000 लोग काम करते हैं, जिस वजह से यह दुनिया की सबसे बड़ी जासूसी एजेंसियों में से एक है.
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