चुनाव से पहले CAA लागू होने पर पाकिस्तानी मीडिया में क्या छपा?

मोदी सरकार ने आम चुनाव से ठीक पहले साल 2019 में पास हुए नागरिकता बिल को लागू कर दिया है. इस कानून के लागू होने के बाद तीन पड़ोसी देशों से आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिल सकेगी. इस कदम को लेकर पाकिस्तान की मीडिया ने कई तरह की प्रतिक्रिया दी है.

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सीएए कानून ने पड़ोसी देशों से आए कई अल्पसंख्यकों को नई उम्मीद दी है (Photo- Reuters) सीएए कानून ने पड़ोसी देशों से आए कई अल्पसंख्यकों को नई उम्मीद दी है (Photo- Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 9:12 PM IST

इस साल मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है. इस कानून के लागू होने के बाद अब पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थी (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) अब भारत की नागरिकता हासिल कर सकेंगे. 

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सीएए कानून को लागू करने की खबर को पाकिस्तान के कई प्रमुख अखबारों ने प्रमुखता से कवर किया है. पाकिस्तानी अखबारों ने अलग-अलग तरह की टिप्पणियां छापी हैं.

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने लिखा कि सीएए का नोटिफिकेशन जारी करने की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि वो इलेक्टोरल बॉन्ड्स के लाभार्थियों की लिस्ट 15 मार्च तक जारी करे. कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्स को असंवैधानिक करार दिया है.

डॉन ने आगे लिखा, 'विश्लेषकों का कहना है कि सीएए लागू करने की घोषणा का मकसद हेडलाइन्स मैनेज करना है.'

अखबार ने लिखा है कि बहुत से मुसलमानों को डर है कि सीएए लागू होने के बाद जब NRC (National Register of Citizens) तैयार होगा तब कई मुस्लिमों को इससे बाहर कर दिया जाएगा. इसे लेकर भारत में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन देखे गए थे.

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विपक्षी पार्टियों की टिप्पणी को अहमियत

पाकिस्तानी अखबार ने रिपोर्ट में सीएए नॉटिफिकेश की टाइमिंग पर सवाल उठा रहे विपक्षी नेताओं के बयान को प्रमुखता से जगह दी है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान का जिक्र करते हुए डॉन ने लिखा कि विपक्षी नेताओं ने चुनाव से ठीक पहले सीएए लागू करने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

जियो न्यूज ने क्या कहा?

पाकिस्तान के एक और प्रमुख न्यूज नेटवर्क जियो न्यूज ने सीएए लागू करने से संबंधित अपनी खबर को हेडलाइन दी- 'चुनावों से पहले मोदी की नेतृत्व वाली भारत सरकार ने 'मुस्लिम विरोधी' नागरिकता कानून 2019 को लागू किया'

पाकिस्तानी मीडिया ने लिखा कि मोदी सरकार ने साल 2019 में ही नागरिकता बिल को पास करा लिया था लेकिन विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए इसे लागू नहीं किया गया था.  

अखबार ने लिखा, 'कानून से मुस्लिमों को बाहर रखा गया है जिस कारण कई अधिकार समूहों ने इस कानून को मुस्लिम विरोधी कहा है जो कि भारतीय लोकतंत्र की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति पर सवाल खड़े करता है.'

रिपोर्ट में लिखा गया कि नागरिकता बिल 2019 को लेकर भारत की राजधानी दिल्ली में हिंसा भड़क गई थी जिसमें बहुत से लोग, ज्यादातर मुसलमान मारे गए और सैकड़ों घायल हुए थे.

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जियो न्यूज ने लिखा, 'मुस्लिम समूहों का कहना है कि यह कानून भारत के 20 करोड़ मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है. उनको डर है कि सीमांत राज्यों में जिन मुसलमानों के पास जरूरी कागजात नहीं होंगे, भारत सरकार उनसे भारत की नागरकिता छीन लेगी.'

रिपोर्ट में आगे लिखा गया कि मोदी सरकार कानून का बचाव करते हुए इस बात से इनकार करती है कि कानून मुस्लिम विरोधी है. मोदी सरकार का कहना है कि इस कानून का मकसद मुस्लिम बहुल देशों में भेदभाव के शिकार धार्मिक अल्पसंख्यकों की मदद करना है. 

जियो न्यूज ने आगे लिखा, 'मोदी सरकार का कहना है कि कानून लोगों को नागरिकता देने के लिए है, न कि उनके नागरिकता वापस लेने के लिए. सरकार ने सीएए को लेकर हुए प्रदर्शनों को राजनीति से प्रेरित बताया है.'

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