कोर्टरूम... दुनिया की उन जगहों में से एक जगह जहां कोई भी खुशी-खुशी क्यों जाना चाहेगा? न्याय की यह दुनिया अक्सर हमें भारी-भरकम शब्दों और ठंडी दलीलों से भरी लगती है. लंबी-चौड़ी और थकाऊ अदालती कार्यवाहियों का सिलसिला अमूमन इंसान को वक्त से पहले बूढ़ा बना देता है. लेकिन कोर्टरूम के इसी तनाव भरी परत को जज फ्रैंक कैप्रियो पिछले लगभग 40 वर्षों से हटाते रहे. उन्होंने जज की कुर्सी को 'ताकत' समझने से परे दया और करुणा का प्लेटफॉर्म बनाया. कैंसर से जंग हार चुके कैप्रियो की जिंदगी किसी सुपरमैन से कम नहीं रही. उनकी मुस्कान और अपराधी को अपराध से ऊपर रखने के फलसफे ने कई लोगों को सुधरने का मौका दिया.
अमेरिका के सबसे छोटे राज्य रोड आइलैंड की राजधानी प्रोविडेंस में जन्मे फ्रैंक कैप्रियो की परवरिश बेहद साधारण परिवार में हुई. उनके पिता इटली से आकर अमेरिका बसे थे. पिता मछलियां और फल बेचा करते थे जबकि मां का जिम्मा घर संभालने का था. लेकिन जैसे-जैसे फ्रैंक समझदारी का पायदान चढ़ते गए, वह कभी अखबार तो कभी घर-घर जाकर दूध बेचकर परिवार की मदद करने लगे. इन्हीं शुरुआती संघर्षों ने उनके कोमल मन को करुणा और संवेदनशीलता से लबरेज कर दिया. बॉस्टन के लॉ स्कूल से कानून की डिग्री लेकर वह वकील बने. फिर 1985 में प्रोविडेंस म्युनिसिपल कोर्ट में बतौर चीफ जज काम करने लगे.
वह अपराधी के अपराध को देखकर सजा नहीं देते थे बल्कि उस अपराध की गहराई में जाकर उसके कारण का पता लगाते थे और उनका यही अंदाज लोगों को छूने लगा. वह दरअसल प्रोविडेंस की जिस म्युनिसिपल कोर्ट में जज थे. वह शहर की सबसे निचली अदालत थी, जहां ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने से लेकर ड्रंक एंड ड्राइव, फास्ट ड्राइविंग और गलत पार्किंग जैसे मामलों की सुनवाई होती थी. वह 1985 से 2023 में अपनी रिटायरमेंट तक इसी कोर्ट में चीफ जस्टिस रहे. लेकिन कैप्रियो का अंदाज सबसे जुदा था. वह हर अपराध को सिर्फ सजा के चश्मे से नहीं देखते थे बल्कि उसके गर्त में जाकर उसकी बैकस्टोरी जानने में बिलीव करते थे.
2017 में 96 साल के एक बुजुर्ग जज कैप्रियो की अदालत में पेश हुए. उन पर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के आरोप में जुर्माना लगाया गया था. जब जज कैप्रियो ने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने कांपती हुई आवाज में कहा कि मैं अपने 63 साल के बेटे को डॉक्टर के पास ले जा रहा था. वो कैंसर से पीड़ित है. मैं रोज उसे चेकअप के लिए ले जाता हूं क्योंकि उसके पास और कोई नहीं है.
यह सुनकर कैप्रियो की आंखें भर आईं. उन्होंने कहा कि आप 96 साल के हैं और अब भी अपने बेटे की देखभाल कर रहे हैं. यह बहुत बड़ी मिसाल है. आपका बेटा खुशनसीब है कि उसे ऐसे पिता की देखभाल मिल रही है. कानून सख्त है, लेकिन इस मामले में इंसाफ यही है कि आपको जुर्माने से छूट दी जाए. यह कहते हुए जज ने उनका जुर्माना माफ कर दिया. यही वो पल था जब जज कैप्रियो की संवेदना ने लोगों को बेइंतहा प्रभावित किया और उन्हें Nicest Judge in the World कहा जाने लगा.
जज कैप्रियो का पूरा करियर हर शख्स दूसरा मौका डिजर्व करता है... के फलसले पर टिका हुआ था. किसी गरीब और जरूरतमंद का जुर्माना माफ कर देना, मजाक में ट्रैफिक सिग्नल तोड़ने वाले युवाओं को पलभर में आत्मग्लानि से भर देना या फिर मां पर जुर्माने की राशि तय करने का अधिकार कोर्ट में मौजूद बच्चे को दे देना... ये उनके आत्मीय फैसलों की फेहरिस्त से लिए गए कुछेक उदाहरण हैं, जो आपको उनकी मानवीय संवेदनाओं और इंसानियत से रूबरू करवाते हैं. उनका विश्वास था कि इंसान को कभी भी उसकी एक गलती से जज करना बेवकूफी होती है. हर किसी को अपनी गलती सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए, ये उनका हक है.
जज कैप्रियो माफ करने की ताकत में यकीन करते थे. उनके फैसले सिर्फ अदालती आदेश नहीं बल्कि जिंदगी का सार थे. किसी छोटे से अपराधी को माफ करते वक्त जब वह मुस्कुराते थे तो उनकी वह मुस्कान इंसानियत की सबसे बड़ी गवाही होती थी. उन्होंने दुनिया को यह अहसास दिलाया कि माफ करना ही असली ताकत है.
जज कैप्रियो के फैसलों में इतनी मानवीयता और अनोखापन था कि उनकी अदालती कार्यवाहियों को लोकल टीवी पर रिकॉर्ड और टेलीकास्ट करना शुरू किया गया. शुरुआत में इसका टेलीकास्ट प्रोविडेंस केबल टीवी पर ही होता था ताकि लोगों को समझाया जा सके कि कोई अदालत काम किस तरह करती है. लेकिन धीरे-धीरे यह इतना पॉपुलर हो गया कि 2000 के बाद इसे अमेरिका के सिंडिकेटेड टीवी शो की तरह दिखाया जाने लगा, जिसका नाम रखा गया Caught in Providence.
ये कोई नाटकीय कोर्टरूम ड्रामा नहीं था बल्कि असली अदालती कार्यवाही थी. जहां छोटे-छोटे अपराधों की सुनवाइयां जज कैप्रियो के सामने होती थी और वह अपने हरफनमौला अंदाज में फैसला सुनाते थे. यह शो दुनियाभर में इतना पॉपुलर हुआ कि जज कैप्रियो को अमेरिका का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सबसे दयालु जज का खिताब मिला.
जज कैप्रियो ने अपनी तार्किक सूझबूझ और समझ से ये साबित किया कि कानून का काम सिर्फ सजा देना भर नहीं है बल्कि इंसान को उसकी गलती समझाने और माफी देने के लिए भी है.
बेशक अमेरिका की प्रोविडेंस म्युनिसिपल कोर्ट कानून के हिसाब से बेहद छोटी कोर्ट है लेकिन जज कैप्रियो ने अपने बेहतरीन और बेहद मानवीय फैसलों से उसे इंसानियत भरी अदालत बना दिया. उनकी करुणा ने अनगिनत दिलों को छुआ. उनकी मुस्कान ने लोगों को सिखाया कि अदालतें भी मानवीय हो सकती हैं. हमें यह भरोसा दिलाया कि दुनिया अब भी अच्छी है, बशर्ते हम इंसान को इंसान की तरह देखें. अमेरिका की प्रतिष्ठित TIME मैगजीन ने जज कैप्रियो को मरणोपरांत अपने कवर पेज पर जगह भी दी.
जज कैप्रियो पैंक्रिएटिक कैंसर से जूझ रहे थे. उन्हें 2023 में कैंसर का पता चला था, जिससे बाद से वह लगातार कैंसर का इलाज करवा रहे थे. जज कैप्रियो के परिवार ने 19 अगस्त को उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था. इस वीडियो में वह कह रहे हैं कि पिछले साल मैंने आपसे कहा था कि मेरे लिए प्रार्थना कीजिए क्योंकि मैं बेहद खराब दौर से गुजर रहा था. अब दुर्भाग्य से मैं एक बार फिर उसी स्थिति में हूं. अस्पताल में हूं और चाहता हूं कि आप मेरे लिए प्रार्थना कीजिए. मुझे अपनी दुआओं में याद रखिए. मैं ईश्वर में यकीन करता हूं. ईश्वर हम सब पर कृपा बनाए रखें. लेकिन दुखद है कि अगले दिन जज कैप्रियो इस दुनिया को अलविद कह गए.
Ritu Tomar