हमास से कनेक्शन, NATO हथियारों का अवैध अड्डा... जानें कैसे पाकिस्तान में फिदायीन फैक्ट्री बने जैश के ठिकाने

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित बहावलपुर केंद्र, जेईएम के डि-फैक्टो चीफ अब्दुल रऊफ असगर द्वारा संचालित किया जाता था और करीब 15 एकड़ में फैला हुआ था. यहां जैश के संस्थापक मसूद अजहर और उसके परिजनों के घर भी स्थित हैं.

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जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का सरगना मसूद अजहर (फाइल फोटो) जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का सरगना मसूद अजहर (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:41 PM IST

भारतीय सेनाओं द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किए गए जवाबी हमले में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के पाकिस्तान स्थित दो मुख्य अड्डे बहावलपुर मुख्यालय और नारोवाल केंद्र को निशाना बनाया गया. ये दोनों मरकज न केवल आत्मघाती हमलावरों की ट्रेनिंग का अड्डा थे, बल्कि इनका संबंध फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास से भी जुड़ा था और यहां अफगानिस्तान से तस्करी कर लाए गए नाटो हथियारों का भंडारण भी किया जाता था. यह जानकारी भारतीय सुरक्षा अधिकारियों ने गुरुवार को दी.

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बहावलपुर केंद्र: मसूद अजहर का किला

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित बहावलपुर केंद्र, जेईएम के डि-फैक्टो चीफ अब्दुल रऊफ असगर द्वारा संचालित किया जाता था और करीब 15 एकड़ में फैला हुआ था. यहां जैश के संस्थापक मसूद अजहर और उसके परिजनों के घर भी स्थित हैं.

भारतीय वायुसेना की मिसाइल स्ट्राइक के बाद मसूद अजहर ने खुद माना कि हमले में उसके 10 पारिवारिक सदस्य और 4 करीबी सहयोगी मारे गए. इनमें उसकी बड़ी बहन, बहनोई, भतीजा-भाभी, भांजी और पाँच बच्चे शामिल थे.

यह केंद्र नाटो द्वारा अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों का प्रमुख ठिकाना बन चुका था. असगर इन हथियारों की तस्करी खैबर पख्तूनख्वा में मौजूद अपराधी नेटवर्क के जरिए करता था. बरामद हथियारों में M4 राइफलें, स्नाइपर गन, आर्मर पियर्सिंग गोलियां, नाइट विजन डिवाइसेज़ (NVD) शामिल थीं.

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नारोवाल केंद्र: हमास से मिली तकनीक की प्रयोगशाला

पंजाब के दूसरे छोर पर स्थित नारोवाल केंद्र में जेईएम के आतंकियों को हमास से प्रभावित टनल इन्फिल्ट्रेशन और पैराग्लाइडिंग हमलों की ट्रेनिंग दी जाती थी. वर्ष 2014 में जेईएम का आतंकी मोहम्मद अदनान अली उर्फ 'डॉक्टर' थाईलैंड में खालिस्तान टाइगर फोर्स के सदस्यों को पैराग्लाइडिंग सिखाता पाया गया था.

इस ट्रेनिंग में जगतर सिंह तारा, जसबिंदर सिंह जस्सा और मोहम्मद उमर गोंडल जैसे आतंकी शामिल थे. यह स्पष्ट है कि जेईएम, हमास के ‘मॉड्यूल’ को जम्मू-कश्मीर में लागू करने की कोशिश कर रहा था.

कश्मीर को फिलिस्तीन से जोड़ने की साज़िश

फरवरी 2025 में कश्मीर सॉलिडेरिटी डे के मौके पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के रावलकोट में एक रैली हुई, जिसे हमास प्रवक्ता खालिद कद्दूमी ने संबोधित किया. इसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के वरिष्ठ आतंकी भी शामिल थे. भारतीय एजेंसियों ने इसे कश्मीर के आतंकी एजेंडे को फिलिस्तीन के संघर्ष से जोड़ने की सोची-समझी साजिश माना.

भारत पर हमले की फैक्ट्री

इन्हीं दो केंद्रों से निकले फिदायीन आतंकियों ने भारत में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया, जिनमें 2016 का पठानकोट एयरबेस हमला और 2020 का नगरोटा हमला शामिल हैं. जैश प्रमुख मसूद अजहर के भतीजे तल्ला राशिद, उस्मान, उमर और मोहम्मद इस्माइल उर्फ लम्बू जैसे आत्मघाती हमलावरों को यहीं ब्रेनवॉश कर बालाकोट भेजा गया था.

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