अमेरिकी ठिकानों के लिए मिसाइलें तैयार कर रहा ईरान, बोला- 'अगर पता चला कि इजरायल का साथ दे रहा US तो...'

अमेरिकी अधिकारियों के बीच युद्ध के और अधिक भड़कने की आशंका बढ़ रही है, क्योंकि इजरायल व्हाइट हाउस पर दबाव बना रहा है कि वह ईरान के खिलाफ उसके अभियान में शामिल हो. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका ने ईरान के ‘फोर्डो’ परमाणु ठिकाने पर हमला किया तो ईरान समर्थित हूती विद्रोही फिर से लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू कर देंगे. इसके अलावा, इराक और सीरिया में मौजूद ईरान समर्थित मिलिशिया समूह भी अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमले कर सकते हैं.

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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई

aajtak.in

  • तेहरान,
  • 18 जून 2025,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST

ईरान ने मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमलों के लिए मिसाइलें और अन्य सैन्य उपकरण तैयार कर लिए हैं, अगर अमेरिका इजरायल के साथ युद्ध में शामिल होता है. यह जानकारी उन अमेरिकी अधिकारियों ने दी है जिन्होंने खुफिया रिपोर्टों की समीक्षा की है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने करीब तीन दर्जन ईंधन भरने वाले विमान यूरोप भेजे हैं, जो अमेरिकी सैन्य अड्डों की सुरक्षा में लगे फाइटर जेट्स की मदद कर सकते हैं या फिर ईरान के परमाणु ठिकानों पर संभावित हमलों के लिए लंबी दूरी तय करने वाले बॉम्बर जेट्स की मदद कर सकते हैं.

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अमेरिका पर दबाव बना रहा इजरायल

अमेरिकी अधिकारियों के बीच युद्ध के और अधिक भड़कने की आशंका बढ़ रही है, क्योंकि इजरायल व्हाइट हाउस पर दबाव बना रहा है कि वह ईरान के खिलाफ उसके अभियान में शामिल हो. अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका ने ईरान के ‘फोर्डो’ परमाणु ठिकाने पर हमला किया तो ईरान समर्थित हूती विद्रोही फिर से लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू कर देंगे. इसके अलावा, इराक और सीरिया में मौजूद ईरान समर्थित मिलिशिया समूह भी अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमले कर सकते हैं.

मिडिल ईस्ट में अमेरिका के 40,000 से ज्यादा सैनिक तैनात

कुछ अधिकारियों का यह भी कहना है कि अगर युद्ध शुरू हुआ तो ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य में बारूदी सुरंगें बिछा सकता है, ताकि अमेरिकी युद्धपोत फारस की खाड़ी में फंस जाएं. मौजूदा हालात को देखते हुए अमेरिका ने यूएई, जॉर्डन और सऊदी अरब में अपने सैन्य अड्डों पर तैनात सैनिकों को हाई अलर्ट पर रखा है. अमेरिकी आंकड़ों के अनुसार, मिडिल ईस्ट में अमेरिका के 40,000 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं.

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ईरान के निशाने पर अमेरिकी अड्डे

दो ईरानी अधिकारियों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि अगर अमेरिका इजरायल के युद्ध में शामिल होता है तो ईरान सबसे पहले इराक में स्थित अमेरिकी अड्डों पर हमला करेगा. इसके अलावा, किसी भी अरब देश में मौजूद अमेरिकी अड्डा अगर हमले में भाग लेता है तो उसे भी निशाना बनाया जाएगा.

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने सोमवार को बयान जारी कर कहा, 'हमारे दुश्मनों को यह समझना चाहिए कि वे सैन्य हमलों से कोई समाधान नहीं निकाल सकते और न ही ईरानी जनता पर अपनी शर्तें थोप सकते हैं.'

'अगर अमेरिका ने किया हमला तो...'

ईरान ने कहा है कि अगर उसे यह पता चलता है कि अमेरिका उसके क्षेत्र पर हमलों में सीधे तौर पर शामिल है, तो वह अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई शुरू कर देगा. यह बयान जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत अली बहरेनी ने बुधवार को दिया.

अली बहरेनी ने कहा, 'अगर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अमेरिका ईरान पर हमलों में सीधे तौर पर शामिल है, तो हम अमेरिका को जवाब देना शुरू कर देंगे.' उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल के हमलों पर ईरान की प्रतिक्रिया 'मजबूत' और 'बिना किसी रुकावट के' होगी, लेकिन 'संयमित और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार' दी जाएगी.

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