भारत का एक छोटा सा कदम सुखा सकता है पाकिस्तान का गला! रिपोर्ट में दी गई चेतावनी

इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान, जो सिंधु नदी बेसिन के पानी पर 80% निर्भर है, गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है. भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिससे पानी के प्रवाह में बदलाव संभव हो गया है. पाकिस्तान के पास केवल 30 दिनों का पानी स्टोर करने की क्षमता है, जिससे मौसमी पानी की कमी का खतरा बढ़ गया है.

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अफगानिस्तान ने भी कुनार नदी पर बांध बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है, जो पाकिस्तान के जल संसाधनों पर दबाव बढ़ाएगा. (File Photo: PTI) अफगानिस्तान ने भी कुनार नदी पर बांध बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है, जो पाकिस्तान के जल संसाधनों पर दबाव बढ़ाएगा. (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • इस्लामाबाद/नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:56 AM IST

एक नई इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट 2025 में दावा किया गया है कि पाकिस्तान, जिसकी तकरीबन 80% कृषि सिंधु नदी बेसिन के पानी पर निर्भर है, गंभीर जल संकट के खतरे का सामना कर रहा है. ऑस्ट्रेलिया के थिंक-टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इकनॉमिक्स एंड पीस (IEP) की ‘Ecological Threat Report 2025’ में कहा गया है कि भारत तकनीकी क्षमता के अंदर रहते हुए इंडस नदी के पानी के प्रवाह में बदलाव कर सकता है, जिसका बड़ा असर पाकिस्तान पर पड़ेगा.

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सिंधु जल संधि निलंबित होने के बाद खतरा बढ़ा

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब भारत ने अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले, जिसे पाकिस्तानी आतंकियों ने अंजाम दिया था, के बाद 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया था. संधि निलंबित करने के बाद भारत फिलहाल पानी साझा करने की शर्तों से बंधा नहीं है.

1960 की संधि के तहत भारत ने पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब- के पानी को पाकिस्तान के लिए छोड़ने पर सहमति दी थी, जबकि पूर्वी नदियों- ब्यास, रावी और सतलुज- का पानी भारत के उपयोग के लिए रखा गया था.

सिर्फ 30 दिनों का पानी स्टोर कर सकता है पाकिस्तान

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत पूरी तरह पानी रोक नहीं सकता, लेकिन गर्मियों जैसे अहम समय में बांधों के संचालन में मामूली बदलाव भी पाकिस्तान की घनी आबादी वाले इलाकों को प्रभावित कर सकते हैं, जहां खेती का 80% हिस्सा सिंधु के पानी पर चलता है. पाकिस्तान के पास सिर्फ 30 दिन का पानी स्टोर करने की क्षमता है, इसलिए इसे मौसमी पानी की कमी का बड़ा जोखिम है.

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अफगानिस्तान ने भी किया कुनार पर बांध बनाने का ऐलान

रिपोर्ट में बताया गया है कि मई में भारत ने चिनाब नदी पर सालाल और बगलिहार बांध में जलाशय साफ करने की प्रक्रिया (reservoir flushing) की और पाकिस्तान को जानकारी नहीं दी. इसके बाद पाकिस्तान में चिनाब किनारे बाढ़ जैसी स्थिति बन गई. इससे दिखा कि संधि रोकने के बाद भारत के पास नदी प्रबंधन को लेकर रणनीतिक बढ़त है.

उधर, इस हफ्ते अफगानिस्तान ने भी कुनार नदी पर बांध बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है, जिससे पाकिस्तान की सीमा पार वाली नदी के पानी पर उसकी पहुंच प्रभावित होगी. पाकिस्तान के किसान पहले ही जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे हैं और बाढ़ व सूखे जैसी समस्याओं से लगातार लड़ रहे हैं.

भारत के पास बांध के गेट खोलने-बंद करने का अधिकार

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास नदी के पानी को जमा करने की पर्याप्त क्षमता नहीं है. इसलिए पानी के प्रवाह में थोड़े समय के लिए भी रुकावट या बदलाव से उसकी कृषि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की पश्चिमी नदियों पर जो बांध हैं, वे ज्यादा पानी रोकने वाले नहीं हैं और केवल रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट हैं, यानी पानी का प्रवाह पूरी तरह बंद नहीं किया जा सकता. लेकिन भारत के पास बांध के गेट खोलने-बंद करने और पानी के समय तय करने का अधिकार है, जिससे पाकिस्तान पर असर पड़ता है.

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रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि संधि निलंबित होने के बाद भारत ने चिनाब पर जल निकासी की प्रक्रिया बिना पाकिस्तान से परामर्श किए की. पहले नदी का कुछ हिस्सा सूख गया और फिर गेट खोलने पर गाद वाला तेज पानी छोड़ा गया.

सऊदी-पाक रक्षा समझौते से लिंक

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिंधु जल संधि के निलंबन का संबंध पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौते से है. इस समझौते के बाद माना जा रहा है कि सऊदी अरब, पाकिस्तान को समर्थन देगा. वहीं अफगानिस्तान पहले ही पाकिस्तान के पानी पर दबाव बना रहा है और कुनार नदी पर बांध की घोषणा कर चुका है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-पाकिस्तान रिश्तों में खराबी के कारण संधि सहयोग से विवाद में बदल गई. कई दशकों तक भारत ने रावी और सतलुज जैसी नदियों का पानी पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया था, और काफी पानी पाकिस्तान में चला जाता था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में भारत ने अपने हिस्से के पानी को पूरा इस्तेमाल करने की नीति शुरू की. रावी पर शाहपुरकंडी बांध (2024 में पूरा) और उज्ह बांध सहित कई प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ाए गए. साथ ही पश्चिमी नदियों पर भी पनबिजली प्रोजेक्ट तेज किए गए, संधि की सीमा के भीतर रहकर.

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