Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में भयानक हिंसा और दंगों के बीच हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. नेताओं और सांसदों के खिलाफ लोगों का गुस्सा चरम पर है. इस्तीफा दे चुके प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को उनके विरोधी जगह-जगह तलाश रहे हैं. गुस्साई भीड़ उनके पैतृक घर को आग के हवाले कर चुकी है. इस बीच श्रीलंका के सोशल मीडिया पर यह जानकारी तेजी से फैलाई जा रही है कि महिंदा राजपक्षे अपने परिवार के साथ भागकर भारत आ गए हैं.
राजपक्षे परिवार को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही इस जानकारी के बाद श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग (Indian High Commission) ने बयान जारी किया है. उच्चायोग ने कहा है कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही जानकारी पूरी तरह फर्जी है. यह सिर्फ एक अफवाह है. बता दें कि भारत ने श्रीलंका की स्थिति पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का समर्थन करता है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के जरिए श्रीलंका के लोगों के हित में काम करता रहेगा.
श्रीलंका के अधिकारी ने भी किया खंडन
श्रीलंका के शीर्ष अधिकारी ने भी इस दावे का खंडन किया है. श्रीलंका के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सिविल एविएशन ऑफिस) के महानिदेशक और सीईओ कैप्टन थेमिया अबेविक्रमा ने सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों को झूठा बताया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनके स्टाफ ने अवैध तरीके से श्रीलंका के किसी भी व्यक्ति को ट्रैवल नहीं कराया है.
इस्तीफे के बाद भी नाराज हैं लोग
बता दें कि महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भी लोगों की नाराजगी कम होती नहीं दिख रही है. लोग देशभर में उन्हें ढूंढ रहे हैं. जगह-जगह बैरिकेट्स लगाकर वाहनों की चेकिंग की जा रही है. इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने हंबनटोटा में राजपक्षे परिवार के पैतृक घर 'मेदामुलाना वालवा' में आग लगा दी थी. आग से घर पूरी तरह जल गया. इसके अलावा लोगों ने नेगोंबो में एवेनरा गार्डन होटल हमले में एक लेम्बोर्गिनी समेत कई वाहन जला दिए थे.
हिंसा की आग में क्यों झुलस रहा श्रीलंका?
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था दो साल पहले तक दक्षिण एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक मानी जाती थी. कोरोना महामारी की दस्तक से पहले 2019 में विश्व बैंक ने श्रीलंका को दुनिया के हाई मिडिल इनकम वाले देशों की कैटेगरी में अपग्रेड किया था, लेकिन दो साल में श्रीलंका की इकोनॉमी अर्श से फर्श पर आ गई. श्रीलंका अब अपना विदेशी कर्ज लौटा पाने में असमर्थ हो चुका है. उसने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी श्रीलंका में महंगाई दर 17 फीसदी को भी पार कर चुकी है, जो पूरे दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है. पैसों की किल्लत के बीच देश में महंगाई कई गुना बढ़ गई है. लोगों को रोजमर्रा की चीजें जुटाने के लिए भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
aajtak.in