इज़रायल और फ़िलिस्तीनी आतंकी समूह हमास के बीच युद्धविराम समझौता लागू हो गया है, जिसकी औपचारिक घोषणा शुक्रवार को इज़रायली डिफेंस फ़ोर्स (IDF) ने की. इसके साथ ही 2 साल से जारी गाज़ा युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया. इस समझौते के तहत कुछ इलाकों से सैनिकों को पुनः तैनात (relocate) किया जा रहा है.
ये संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को उस समय शुरू हुआ था, जब हमास ने दक्षिणी इज़रायल में बर्बर हमला किया था. इस हमले में कम से कम 1200 लोगों की मौत हुई थी और 250 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया था.
गाज़ा में सीजफायर शुक्रवार दोपहर 12 बजे (इज़रायल समयानुसार) यानी भारतीय समयानुसार 2:30 बजे से लागू हो गया. ये कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20 सूत्रीय शांति योजना के पहले चरण का हिस्सा है, जिस पर इज़रायल और हमास दोनों ने सहमति जताई है.
इज़रायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने बयान जारी कर कहा कि युद्धविराम समझौता दोपहर 12 बजे से प्रभावी हुआ. इसके बाद IDF सैनिकों ने अपनी नई तैनाती लाइनों पर पुनः पोजिशन ले ली है ताकि युद्धविराम लागू हो सके और बंधकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की जा सके. IDF ने यह भी कहा कि दक्षिणी कमान के सैनिक क्षेत्र में तैनात हैं और किसी भी तात्कालिक खतरे को समाप्त करने की कार्रवाई जारी रखेंगे.
गाजा युद्धविराम समझौते पर सहमति डोनाल्ड ट्रंप की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है. इस समझौते का मकसद गाज़ा में 2 साल से जारी युद्ध को समाप्त करना है, जिसने पूरे मिडिल ईस्ट को झकझोर दिया था. समझौते की शर्तों के अनुसार इज़रायल अपने सैन्य अभियान को रोक देगा, जबकि हमास इज़रायली बंधकों को रिहा करेगा, इसके बदले में इज़रायल सैकड़ों फ़िलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा.
क्या है शांति समझौता?
शांति समझौते के तहत अब इज़रायल गाजा से धीरे-धीरे अपनी सेना हटा रहा है, जिसके साथ ही लड़ाई खत्म हो जाएगी. हमास ने वादा किया है कि वह इज़रायल की जेलों में बंद सैकड़ों फ़िलिस्तीनी कैदियों के बदले सभी बचे हुए बंधकों को रिहा करेगा. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि बंधकों की रिहाई अगले हफ्ते की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद है.
इस समझौते के बाद एक बड़ा मानवीय राहत अभियान भी शुरू होगा. जिसके तहत खान, दवाइयां और जरूरी सामान से भरे ट्रक गाजा में भेजे जाएंगे. इस मदद का मकसद उन लाखों लोगों की सहायता करना है जो इज़रायली हमलों में अपने घर खो चुके हैं और फिलहाल अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं.
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