नसों की इस बीमारी से जूझ रहे हैं राष्ट्रपति ट्रंप, टखनों में सूजन ने बढ़ाई चिंता

राष्ट्रपति ट्रंप के सूजे हुए हाथ की तस्वीरों पर लेविट ने कहा कि लगातार हाथ मिलाने और एस्प्रिन के इस्तेमाल की वजह से उनके हाथ के टिश्यू पर असर पड़ा है. हालांकि, इस मेडिकल कंडीशन के और गंभीर होने के कोई संकेत नहीं हैं. राष्ट्रपति को इसके अलावा अन्य किसी तरह की समस्या नहीं है.

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राष्ट्रपति ट्रंप क्रॉनिक वेनस इनसफिशियंसी बीमारी से जूझ रहे हैं. (Photo: AP) राष्ट्रपति ट्रंप क्रॉनिक वेनस इनसफिशियंसी बीमारी से जूझ रहे हैं. (Photo: AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:27 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें उनके हाथ पर निशान साफ देखे जा सकते हैं और सूजन साफ दिखाई दे रही है. अब इस पर व्हाइट हाउस ने सफाई दी है.

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने मीडिया ब्रीफिंग को बताया कि ट्रंप क्रॉनिक वीनस इनसफिशियंसी (Chronic Venous Insufficiency) से जूझ रहे हैं. 

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उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने टखनों (Ankles) में हल्की सूजन नजर आने के बाद चेकअप कराया, जिसके बाद इस बीमारी का पता चला.

ट्रंप के सूजे हुए हाथ की तस्वीरों पर लेविट ने कहा कि लगातार हाथ मिलाने और एस्प्रिन के इस्तेमाल की वजह से उनके हाथ के टिश्यू पर असर पड़ा है. हालांकि, इस मेडिकल कंडीशन के और गंभीर होने के कोई संकेत नहीं हैं. राष्ट्रपति को इसके अलावा अन्य किसी तरह की समस्या नहीं है.

व्हाइट हाउस के चिकित्सक डॉ. सीन बार्बेला ने बताया कि ट्रंप को पैरों में हल्की सूजन (mild swelling) देखी गई थी, जिसके बाद व्यापक मेडिकल जांच की गई. जांच में पता चला कि ट्रंप को क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी है. हालांकि, कोई गंभीर स्थिति जैसे डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT) या धमनी रोग (arterial disease) नहीं पाया गया.

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बता दें कि यह मेडिकल कंडीशन 70 से अधिक उम्र के लोगों में आम है. उम्र के इस पड़ाव पर शरीर की नसो में समस्याएं आने लगती हैं. नसों के जरिए दिल का खून पहुंचाने में समस्याएं आती हैं.

क्या है क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी?

क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पैरों की नसों के वॉल्व ठीक से काम नहीं करते, जिसके कारण खून दिल की ओर वापस जाने के बजाय पैरों में जमा हो जाता है. इससे पैरों में सूजन, भारीपन, दर्द और त्वचा में बदलाव (जैसे लाल-भूरे रंग की त्वचा या अल्सर) हो सकते हैं. यह बीमारी खासकर 70 साल से अधिक उम्र के लोगों में आम है.

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