इटली में G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. 13 से 15 जून तक चलने वाले इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के प्रमुख जुटे हैं. इनमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक शामिल हैं. भारत को जी7 सम्मेलन में गेस्ट सदस्य के तौर पर बुलाया जाता है.
बताया गया था कि प्रधानमंत्री मोदी अपने दौरे के दौरान इटली के दक्षिणी इलाके ब्रिनदिसी में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. लेकिन उनके दौरे से पहले खालिस्तान समर्थकों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ की और हरदीप निज्जर का नाम लिखकर देश विरोधी नारे लिख दिए. हालांकि बाद में विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद प्रतिमा को ठीक करा दिया गया.
अब सवाल उठता है कि आखिर इस इलाके में क्यों गांधी की प्रतिमा लगाई गई है. इसे जानने के लिए आजतक की टीम इटली के इस इलाके में पहुंची. दरअसल, इतिहास के पन्नों पर पलटकर देखें तो इटली का ब्रिनदिसी पोर्ट भारतीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. कारण, 1931 में महात्मा गांधी यहां आए थे. लंदन में आयोजित सैकेंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के खत्म होने के बाद महात्मा गांधी यहां से स्विट्जरलैंड गए थे और फिर यहीं से भारत वापस लौटे थे. इसे भारत-इटली के रिश्तों के लिहाज से महत्वपूर्ण जगह माना जाता है. इसलिए इस पोर्ट के पास गांधी की प्रतिमा लगाई गई है. हालांकि अभी इसका अनावरण नहीं हुआ है.
मौके पर मिले कुछ भारतीयों ने खालिस्तान समर्थकों की हरकत की आलोचना की. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भारत के लिए बड़ी शख्सियत हैं और आरोपियों को प्रतिमा के साथ ऐसी छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए थे. लोगों ने कहा कि खालिस्तान समर्थकों की नाराजगी भारत सरकार या किसी से भी हो सकती लेकिन इसमें महात्मा गांधी की प्रतिमा से छेड़छाड़ ठीक नहीं है. इससे यहां इटली में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए भी शर्मनाक बात है. इससे दुनियाभर में एक गलत संदेश भी जाता है.
क्या है G7?
G7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं. इटली वर्तमान में G7 (सात देशों का समूह) की अध्यक्षता संभाल रहा है और शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. जी-7 सदस्य देश वर्तमान में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 45% और दुनिया की 10% से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. अपनी परंपरा के अनुरूप अध्यक्षता करने वाले मेजबान देश द्वारा कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है. इससे पहले 1997 और 2013 के बीच रूस को शामिल किए जाने से इसका जी8 के तौर पर विस्तार हुआ था. हालांकि, क्रीमिया पर कब्जे के बाद 2014 में रूस की सदस्यता सस्पेंड कर दी गई थी.
आर्थिक मुद्दों पर अपने शुरुआती फोकस से जी-7 धीरे-धीरे शांति और सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन समेत प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर समाधान और सर्वमान्य मत खोजने के लिए विचार का एक मंच बन गया है. 2003 से गैर-सदस्य देशों (एशिया और अफ्रीका के पारंपरिक रूप से विकासशील देश) को 'आउटरीच' सेशन में आमंत्रित किया गया है. जी-7 ने इसके साथ सरकार और तंत्र से अलग गैर-सरकारी हितधारकों के साथ भी बातचीत को बढ़ावा दिया, जिससे व्यापार, नागरिक समाज, श्रम, विज्ञान और शिक्षा, थिंक-टैंक, महिलाओं के अधिकारों और युवाओं से संबंधित मुद्दों पर कई सहभागिता समूहों का निर्माण हुआ है. वे जी-7 के अध्यक्ष देश को अपनी अनुशंसा प्रदान करते हैं.
गीता मोहन