'धर्म को ढाल बनाकर भीड़ को उकसाने की कोशिश...', ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों का यूनुस सरकार को अल्टीमेटम

बांग्लादेश के छात्र नेता उस्मान हादी की 18 दिसंबर को मौत हो गई थी. इसके तुरंत बाद भीड़ सड़कों पर उतरी और बांग्लादेश के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया.

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ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का यूनुस सरकार को अल्टीमेटम (Photo: Social Media) ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का यूनुस सरकार को अल्टीमेटम (Photo: Social Media)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:48 PM IST

पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश इस समय भारी राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है. अगस्त 2024 में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से वहां हालात लगातार उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या और हिंदू युवक की लिंचिंग से हालात बदतर हो चुके हैं. इस बीच ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र दल ने देशभर में आज विरोध मार्च निकाला.

ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र दल जेसीडी ने देशभर में जारी भीड़ हिंसा और हत्याों के खिलाफ न्याय की मांग करते हुए विरोध मार्च निकाला. यह जुलूस रविवार सुबह यूनिवर्सिटी के टीचर स्टूडेंट सेंटर क्षेत्र से शुरू हुआ. छात्रों ने कहा कि धर्म को ढाल बनाकर भीड़ को भड़काने की कोशिशें अब बांग्लादेश की संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं।

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इस बीच जेसीडी प्रमुख राकिब ने कहा कि पांच अगस्त के बाद के हालात में एक खास समूह धर्म का दुरुपयोग कर रहा है और ‘बॉट आर्मी’ के जरिए भीड़ आतंक और व्यापक हिंसा को उकसा रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि जेसीडी उन तत्वों का सख्ती से मुकाबला करेगी, जो विदेश से ऑनलाइन नफरत और भ्रामक सूचनाएं फैलाकर इस तरह की अराजकता पैदा कर रहे हैं.

जेसीडी नेतृत्व ने कहा कि देशभर में मॉब कल्चर के नाम पर फैलाई जा रही अराजकता के खिलाफ खड़ा होना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. छात्र संगठन ने इन घटनाओं की निष्पक्ष और गहन जांच की मांग करते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की अपील की.

बता दें कि ये विरोध प्रदर्शन खासतौर पर हाल की दो घटनाओं के विरोध में था. एक घटना 18 दिसंबर को बांग्लादेश के मयमनसिंह के भालुका में हुई, जहां भीड़ ने मजदूर दीपू चंद्र दास को पीट-पीटकर मार डाला. दूसरी घटना 19 दिसंबर को लक्ष्मीपुर की है, जहां बीएनपी नेता बेलाल हुसैन के घर पर आगजनी की गई, जिसमें उनकी सात साल की बेटी आइशा की मौत हो गई.

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इससे पहले इंकलाब मंच से जुड़े हादी के सहयोगी अब्दुल्ल अल जबेर ने भी यूनुस सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि सरकार अगले 24 घंटे में सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करे कि हादी की हत्या के जिम्मेदार लोग कौन हैं और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं. 

बता दें कि शेख हसीना विरोधी आंदोलन के दौरान उस्मान हादी ने अहम भूमिका निभाई थी. 32 साल के हादी, शेख हसीना विरोधी प्लेटफॉर्म इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे. अगले साल होने वाले आम चुनाव में ढाका से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रचार कर रहे थे. इंकलाब मंच पिछले साल बांग्लादेश में जुलाई विद्रोह के दौरान चर्चा में आया था, जिसके चलते शेख हसीना सत्ता छोड़कर देश से भागना पडा था.

बांग्लादेश में अगले साल फरवरी में आम चुनाव होने हैं, लेकिन चुनाव से पहले ही शेख हसीना की पार्टी को दूर कर दिया गया है. वहीं, खालिदा जिया खराब सेहत के चलते वेंटिलेटर पर हैं और यूनिस के हाथ में कुछ नहीं हैं, ऐसे में संभव हैं कि हादी की मौत के बाद सड़कों पर उतरें उपद्रवी बांग्लादेश की कमान अपने हाथों में ले ले.

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