ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों समेत प्रवासियों के खिलाफ सड़कों पर क्यों उतरे हजारों लोग? कई शहरों में हुए प्रदर्शन

विरोध प्रदर्शन से पहले फेसबुक पर प्रचारित किए गए कंटेंट में भारतीयों का भी जिक्र किया गया था, जिनकी संख्या जनगणना के मुताबिक 2013 से 2023 तक दोगुनी होकर करीब 845,800 पहुंच गई है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि प्रवासियों की वजह से देश के संसाधनों का दोहन हो रहा है.

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ऑस्ट्रेलिया के तमाम शहरों में प्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए ऑस्ट्रेलिया के तमाम शहरों में प्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

ऑस्ट्रेलिया में रविवार को हजारों लोग आव्रजन विरोधी (Anti-immigration) रैलियों में शामिल हुए और प्रदर्शन की प्रचार सामग्री में भारतीय प्रवासियों को भी निशाना बनाया गया. हालांकि ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इन आयोजनों की निंदा करते हुए प्रदर्शनों को नफरत फैलाने वाला और नियो-नाजियों से जुड़ा बताया है. 'मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया' नाम की रैलियों के लिए जारी किए गए विज्ञापन में भारतीय मूल के निवासियों को प्रमुखता से दिखाया गया है, जो अब वहां की जनसंख्या का तीन प्रतिशत हैं.

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प्रवासी भारतीयों के खिलाफ प्रचार

एक पर्चे पर लिखा था, 'पांच साल में जितने भारतीय आए हैं, उतने तो 100 साल में ग्रीक और इटालियन भी नहीं आए. यह सिर्फ एक देश से आए हैं, जिसके बारे में हम जानते हैं कि प्रवास का सांस्कृतिक प्रभाव पड़ता है. यह कोई मामूली सांस्कृतिक बदलाव नहीं है, ऑस्ट्रेलिया कोई ऐसा आर्थिक क्षेत्र नहीं है जिसके संपत्ति का अंतरराष्ट्रीय शोषण किया जा सके.'

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कार्यक्रम से पहले फेसबुक पर जारी की गई प्रचार सामग्री में भारतीयों का भी जिक्र किया गया था, जिनकी संख्या जनगणना आंकड़ों के अनुसार 2013 से 2023 तक दोगुनी होकर करीब 845,800 हो गई है. मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट का कहना है कि सामूहिक प्रवासन ने 'हमारे समुदायों को एक साथ बांधे रखने वाले बंधनों को तोड़ दिया है, जबकि ग्रुप ने एक्स पर लिखा है कि वे वह करना चाहते हैं जो मुख्यधारा के राजनेता कभी करने का साहस नहीं करते, सामूहिक प्रवासन को खत्म करने की मांग करना.'

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सिडनी-मेलबर्न में विरोध प्रदर्शन

आयोजकों ने खुद को बड़े पैमाने पर आव्रजन को खत्म करने के मकसद के तहत आस्ट्रेलियाई लोगों को एकजुट करने की एक जमीनी कोशिश बताया और अन्य समूहों के साथ अपने संबंधों से इनकार किया. सिडनी, मेलबर्न, कैनबरा और अन्य शहरों में बड़ी रैलियां आयोजित की गईं. सिडनी में, 5,000 से 8,000 लोग, जिनमें से कई राष्ट्रीय ध्वजों में लिपटे हुए थे, शहर के मैराथन के मैदान के पास जमा हुए.

पास ही रिफ्यूजी एक्शन कोएलिशन की एक जवाबी रैली हुई, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. गठबंधन के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हमारा यह कार्यक्रम मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणपंथी एजेंडे के प्रति नफरत और गुस्से को दर्शाता है.' पुलिस ने बताया कि सिडनी में सैकड़ों अधिकारियों को तैनात किया गया था और अभियान बिना किसी बड़ी घटना के खत्म हो गया.

इमिग्रेशन रोकने को बताया मकसद

मेलबर्न में, प्रदर्शनकारी ऑस्ट्रेलियाई झंडों और आव्रजन-विरोधी तख्तियों के साथ फ्लिंडर्स स्ट्रीट स्टेशन के बाहर जमा हुए और मार्च निकाला. एक प्रदर्शनकारी थॉमस सेवेल ने रैली को संबोधित करते हुए दावा किया कि उनके आदमियों ने मार्च का नेतृत्व किया था और कहा कि अगर हम आव्रजन नहीं रोकेंगे, तो हमारी मौत पक्की है.

पुलिस ने विरोध-प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प की, जिसमें मिर्च स्प्रे, लाठियां और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए हथियारों का इस्तेमाल किया गया. छह लोगों को गिरफ्तार किया गया और दो अधिकारी घायल हो गए. पुलिस का अनुमान है कि मेलबर्न रैली और विरोध-प्रदर्शनों में कुल मिलाकर 5,000 लोग शामिल थे.

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कुछ प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक सेवाओं को लेकर अपनी निराशा जताई. सिडनी में, मार्च फ़ॉर ऑस्ट्रेलिया में हिस्सा लेने वाले ग्लेन ऑलचिन ने कहा, 'यह हमारे देश की बढ़ती हुई आर्थिक तंगी और हमारी सरकार की ओर से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को यहां लाने की बात है. हमारे बच्चे घर पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, हमारे अस्पतालों में हमें सात घंटे इंतज़ार करना पड़ता है, हमारे यहां सड़कें कम पड़ रही हैं.'

प्रदर्शनों के खिलाफ सियासी दल

इन रैलियों की सभी राजनीतिक दलों ने निंदा की. संघीय श्रम मंत्री मरे वाट ने स्काई न्यूज़ को बताया, 'हम आज हो रही मार्च फ़ॉर ऑस्ट्रेलिया रैली की कड़ी निंदा करते हैं, इसका मकसद सामाजिक सद्भाव बढ़ाना नहीं है. हम ऐसी रैलियों का समर्थन नहीं करते जो नफ़रत फैलाती हैं और हमारे समुदाय को बांटती हैं.' उन्होंने आगे कहा कि ये रैलियां नियो-नाज़ी संगठनों की तरफ से आयोजित और प्रचारित की गई थीं.

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गृह मंत्री टोनी बर्क ने कहा कि हमारे देश में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो हमारी सामाजिक एकता को विभाजित और कमज़ोर करना चाहते हैं. हम इन रैलियों के ख़िलाफ़ आधुनिक ऑस्ट्रेलिया के साथ खड़े हैं और इससे कम ऑस्ट्रेलियाई कुछ भी नहीं हो सकता. 

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भारतीय और यहूदी विरोधी प्रदर्शन

संघीय विपक्षी नेता सुज़ैन ले ने रैलियों से पहले एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि हिंसा, नस्लवाद या धमकी के लिए कोई जगह नहीं है. चाहे दूर से उकसाया गया हो या यहां उकसाया गया हो, हम नफरत और डर को हमारे सामाजिक सामंजस्य को तबाह नहीं करने दे सकते. अटॉर्नी जनरल जूलियन लीसर ने कहा कि हो सकता है कि कुछ अच्छे लोग हों जो नीति परिवर्तन चाहते हों, लेकिन उन्हें अपनी कंपनी से सावधान रहना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'मैंने विरोध प्रदर्शन की कुछ सामग्री देखी है, और मैं वहां जताई जा रही भारत विरोधी भावना और उनमें से कुछ विरोध प्रदर्शनों में यहूदी विरोधी भावना को लेकर परेशान हूं.' ऑस्ट्रेलिया, जहां लगभग आधी आबादी या तो विदेश में पैदा हुई है या उसके माता-पिता विदेश में पैदा हुए हैं, में हाल के वर्षों में दक्षिणपंथी गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी गई है.

अक्टूबर 2023 में इजरायल-गाजा युद्ध शुरू होने के बाद से पूजा-स्थल, इमारतों और कारों पर यहूदी विरोधी हमलों की एक सीरीज के जवाब में, इस साल नए कानून लागू हुए, जिनमें चरमपंथी प्रतीकों के प्रदर्शन या बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया. साथ ही उल्लंघन करने पर जेल की सजा का प्रावधान है.

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