तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात और कंधार पर कब्जा कर लिया है. कहा जा रहा है कि विद्रोही गुट का देश के 60 प्रतिशत क्षेत्र पर नियंत्रण हो चुका है. इस बात की चिंता बढ़ती जा रही है कि काबुल भी जल्द तालिबान के हाथों में आ सकता है.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में हालात नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं और तालिबान को फौरन हमला रोकना होगा. बलपूर्वक सत्ता पर काबिज होने से सिर्फ खोने के अलावा कुछ हासिल होने वाला नहीं है, क्योंकि इससे अफगानिस्तान लंबे समय के लिए सिविल वार की चपेट आ जाएगा और युद्धग्रस्त देश दुनिया में अलग-थलग पड़ जाएगा.
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गुटेरेस ने कहा कि अफगानिस्तान अभी तक अराजकता और हताशा की चपेट में रहा है. यह लंबे समय से पीड़ित लोगों के लिए एक अविश्वसनीय त्रासदी है. गंभीर स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि अफगानिस्तान कंट्रोल से बाहर हो रहा है.
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अफगानिस्तान में विभिन्न प्रांतीय राजधानियों पर तेजी से कब्जा जमा रहे तालिबान से यूएन चीफ ने कहा कि उसे जल्द हमला रोकना चाहिए और अपने देश की जनता के हित में बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए.
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गुटेरेस ने कहा, 'जंग का रास्ता अख्तियार करने वालों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का संदेश साफ होना चाहिए. बलपूर्वक सत्ता पर काबिज होने से सिर्फ खोया जा सकता है. इससे देश एक लंबे गृह युद्ध की चपेट में आ जाएगा अथवा अफगानिस्तान पूरी तरह से अलग-थलग पड़ जाएगा.'
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गुटेरेस ने जोर देकर कहा कि नागरिकों के खिलाफ हमलों का निर्देश देना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है और यह युद्ध अपराध के समान है. अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
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संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि वह शुरुआती संकेतों से भी काफी परेशान हैं कि तालिबान अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से महिलाओं और पत्रकारों को निशाना बनाकर मानवाधिकारों पर गंभीर बंदिश लगा रहा है. उन्होंने कहा, "अफगान लड़कियों और महिलाओं को कड़ी मेहनत से मिले अधिकारों को उनसे छीने जाने की रिपोर्ट देखना भयावह और हृदयविदारक है."
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गुटेरेस ने उम्मीद व्यक्त की कि अफगानिस्तान और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच दोहा वार्ता के जरिये संघर्ष खत्म और समाधान का रास्ता बहाल होगा. उन्होंने कहा कि केवल अफगान नेतृत्व वाली बातचीत से राजनीतिक समझौता के जरिये शांति सुनिश्चित की जा सकती है. संयुक्त राष्ट्र इस तरह के समझौते में योगदान, सभी अफगानों के अधिकारों को बढ़ावा देने और जीवन बचाने वाली मानवीय मदद मुहैया कराने के लिए दृढ़ है.
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गुटेरेस ने कहा कि अकेले पिछले महीने हेलमंद, कंधार और हेरात प्रांतों में नागरिकों के खिलाफ अंधाधुंध हमलों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए हैं या घायल हुए हैं. उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई से भारी नुकसान हो रहा है. कम से कम 241,000 लोग अपने घरों से भागने के लिए मजबूर हुए हैं और मानवीय जरूरतें हर घंटे बढ़ रही हैं.
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गुटेरेस ने कहा कि अस्पतालों में घायलों की बढ़ती संख्या, चिकित्सा आपूर्ति में कमी, सड़कों, पुलों, स्कूलों, क्लीनिकों और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के नष्ट होने के साथ हर दिन संघर्ष के चलते महिलाओं और बच्चों के लिए संकट बढ़ता ही जा रहा है.
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गुटेरेस ने कहा, 'निरंतर शहरी संघर्ष का मतलब निरंतर नरसंहार होगा, नागरिकों को सबसे अधिक इसकी कीमत चुकानी होगी. सभी को नागरिकों की रक्षा के लिए और काम करना चाहिए. मैं सभी पक्षों को नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी उपाय करने के उनके कानूनी और नैतिक दायित्व की याद दिलाता हूं.'