इजरायल में हजारों की तादाद में दक्षिणपंथी राष्ट्रवादियों ने पूर्वी यरुशलम में राष्ट्रध्वज के साथ मंगलवार को मार्च निकाला. इस मार्च के चलते इजरायल का फिलिस्तीन के साथ फिर से तनाव बढ़ गया है. इजरायल में नई गठबंधन सरकार को बने दो दिन ही हुए हैं और नई चुनौती सामने आ गई है. इस फ्लैग मार्च में यहूदी प्रदर्शनकारियों ने 'अरब मुर्दाबाद' के नारे लगाए जिसे लेकर इजरायल के विदेश मंत्री यैर लैपिड ने नाराजगी जाहिर की है.
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येर लैपिड ने अरब मुर्दाबाद के नारे पर हिब्रू भाषा में ट्वीट किया, 'यहूदी ऐसे नहीं होते. एक इजरायली के लिए भी यह ठीक नहीं है. निश्चित तौर पर हमारा राष्ट्रध्वज भी इसकी अनुमति नहीं देता है. हाथ में इजरायली ध्वज लेकर हम नफरत की भाषा नहीं बोल सकते. यह माफी लायक नहीं है. ये कैसे हो सकता है कि आपने हाथ में इजरायली झंडा ले रखा है और अरब मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं.'
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नेफ्टाली बेनेट की सरकार में येर लैपिड विदेश मंत्री हैं. वह इस सरकार में सबसे बड़ी पार्टी के प्रमुख भी हैं. समझौते के अनुसार, नेफ्टाली के दो साल के कार्यकाल के बाद लैपिड प्रधानमंत्री बनेंगे.
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पिछले महीने अल-अक्सा मस्जिद में हुई भिड़ंत के बाद फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संघर्ष छिड़ गया था. 11 दिन चले संघर्ष में करीब ढाई लोगों की जान चली गई थी जबकि हमास के रॉकेट हमलों में इजरायल में 13 लोगों की मौत हो गई थी. मिस्र की मध्यस्थता में दोनों पक्षों ने 21 मई को सीजफायर का ऐलान किया था. लेकिन राष्ट्रवादी यहूदियों के इस मार्च के चलते फिर तनाव बढ़ गया है.
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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल की पुलिस मंगलवार को इस मार्च को लेकर अलर्ट थी और सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे. पुलिस ने यरुशलम के मशहूर दमिश्क गेट वाले इलाके को पहले ही फिलिस्तीनियों से खाली करा दिया था. मार्च में शामिल अधिकतर दक्षिणपंथी यहूदी थे. यहूदी राष्ट्रवादी इजरायल का झंडा लेकर आगे बढ़ रहे थे.
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मार्च के दौरान नीले और सफेद रंग का झंडा लिए इजरायली डांस कर रहे थे और 'इजरायली जनता जिंदाबाद' के नारे लगा रहे थे. इजरायलियों की यह भीड़ दमिश्क गेट पर जमा थी जहां अक्सर फिलिस्तीनी विरोध प्रदर्शन करते हैं.
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इजरायल ने 1967 की जंग में पूर्वी यरुशलम पर कब्जा जमा लिया था. इजरायल का तभी से पूर्वी यरुशलम पर कब्जा है. पूर्वी यरुशलम पर इजरायल के नियंत्रण को अभी तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है. फिलिस्तीनियों की मांग है कि भविष्य में फिलिस्तीन एक आजाद और संप्रभु राष्ट्र बनेगा तो पूर्वी यरुशलम उसकी राजधानी होगी. इसमें वेस्ट बैंक और गाजा को भी शामिल किया जाएगा.
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गाजा पर शासन करने वाले चरमपंथी गुट हमास ने यरुशलम में मार्च न निकालने को कहा था और इजरायल की नेफ्टाली बेनेट की नई सरकार को चेतावनी दी थी. हमास का कहना था कि अगर यहूदियों का मार्च निकलता है तो फिर दोनों पक्षों में तनाव बढ़ सकता है.
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हमास ने मार्च के दौरान नए सिरे से दुश्मनी बढ़ने की चेतावनी दी थी. तनाव की स्थिति को देखते हुए दक्षिणपंथी, मध्यमार्गी, वामपंथी और अरब दलों के प्रशासन वाली नई सरकार ने एंटी-मिसाइल सिस्टम आयरन डोम की फिर से तैनाती के आदेश दिए हैं. हालांकि मंगलवार को रात होने के साथ मार्च में शामिल होने लोग भी तितर-बितर हो गए और गाजा की तरफ से भी रॉकेट दागे जाने के कोई संकेत नहीं मिले.
हालांकि, प्रदर्शन से कुछ घंटे पहले फिलिस्तीनियों ने आग लगाने वाले गुब्बारे इजरायल पर दागे थे जिसके बाद इजरायल ने पलटवार करते हुए गाजा पट्टी पर फिर हवाई हमले किए.
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फिलिस्तीन रेड क्रिसेंट एम्बुलेंस सेवा ने बताया कि मार्च का विरोध करने पर इजरायली पुलिस के साथ झड़प में पूर्वी यरुशलम में कम से कम 27 फिलिस्तीनी घायल हो गए हैं. हालांकि हिंसा नहीं भड़की जिसकी आशंका थी.
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पुलिस ने उस दमिश्क गेट से यहूदी राष्ट्रवादियों को मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी जो मुस्लिम बस्ती की तरफ जाता है. इसकी वजह से मार्च में शामिल लोगों को लंबा रास्ता चुनना पड़ा. रास्ता बदले जाने से प्रदर्शनकारी नाराज हुए नेफ्टाली बेनेट के खिलाफ पोस्टर लगाया और नारेबाजी की.
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