समाजवादी पार्टी (सपा) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अखिलेश ऐसे धर्मनिरपेक्ष हैं जिन्होंने पार्टी कार्यालय में ही पूजा करा दी. उनके काम देखकर बीजेपी भी सोच रही होगी आखिर हम कहां पीछे रहे गए. मौर्य ने आगे कहा कि मुलायम सिंह यादव भी बहुत बड़े हनुमान भक्त थे, लेकिन ऐसा काम कभी नहीं किया कि पार्टी कार्यालय में ही पूजा कर लें.
स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने तंज कसते हुए कहा- अखिलेश यादव ने पीडीए बोलते-बोलते पीडीए की हवा निकाल दी. वो समाजवादी विचारधारा से विपरित जा रहे हैं. हालांकि, उनसे मेरा वैचारिक मतभेद है, मनभेद नहीं है. 22 फरवरी को अगला फैसला लूंगा कि कहां जाना है.
रामगोपाल पर निशाना साधा
वहीं, सपा सांसद और अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव पर बोलते हुए मौर्य ने कहा- "उन्हे अखिलेश व शिवपाल से सीखना चाहिए कि बोला कैसे जाता है. घर में जब सपा की खटिया खड़ी करने के लिए मुखिया विराजमान है तो और किसी की क्या जरूरत है. जब तक वह पार्टी को लीड करेंगे तब तक पार्टी पर अंधेरा छाया रहेगा."
मौर्य ने सपा को कहा अलविदा
20 फरवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य ने आखिरकार समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया. इससे पहले उन्होंने पार्टी महासचिव के पद से इस्तीफा दिया था. उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ दी है. मौर्य ने अपना इस्तीफा सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भेज दिया है.
इसमें उन्होंने लिखा- "आपके नेतृत्व में सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ. लेकिन 12 फरवरी 2024 को हुई बातचीत और 13 फरवरी को प्रेषित पत्र पर किसी भी प्रकार की वार्ता की पहल न करने के कारण में समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी त्याग-पत्र दे रहा हूं."
अखिलेश ने कही थी ये बात
गौरतलब है कि बीते दिन अखिलेश यादव ने मौर्य के महासचिव पद से इस्तीफा देने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था- किस व्यक्ति के अंदर क्या चल रहा है, यह बात कोई नहीं जानता है. यहां हर कोई सिर्फ फायदे के लिए भाग रहा है.'
अखिलेश के इस बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था- 'वे (अखिलेश) केंद्र या राज्य में पॉवर में नहीं हैं. वह कुछ देने की स्थिति में भी नहीं हैं. अब तक उन्होंने मुझे जो कुछ भी दिया है, मैं सबकुछ उन्हें वापस करूंगा. मेरे लिए विचारधारा ज्यादा मायने रखती है, पद नहीं. सभी वर्गों के अधिकार और उनका कल्याण मेरी प्राथमिकता है. अगर इन पर हमला किया जाएगा तो मैं आवाज जरूर उठाऊंगा.'
समर्थ श्रीवास्तव