यूपी पुलिस पर एनकाउंटर को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बाद सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है, जिसमें कई अहम दिशा-निर्देश दिए गए हैं. अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नई गाइडलाइन पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस दबाव में है तो डॉक्टर दबाव में नहीं होंगे. आप जानते हैं कि कैमरा क्या दिखाता है. इन्होंने यूपी को कस्टोडियल डेथ में नंबर वन बना दिया है.
अखिलेश से जब पूछा गया कि नई गाइडलाइन जारी हुई है, जहां-जहां भी एनकाउंटर होंगे. वहां पर वीडियोग्राफी होगी. मौके पर डॉक्टरों और फोरेंसिक टीम का एक पैनल मौके पर जाकर चेक और जांच करेगा.
'आप न्याय कैसे देंगे'
इस पर सपा प्रमुख ने कहा कि ये सब किसके अधिकारी होंगे, जब बीजेपी की नियती साफ नहीं है. आप न्याय कैसे देंगे, आपको डीजीपी का बयान नहीं सुनाई दे रहा है कि पुलिस दबाव में है तो डॉक्टर दबाव में नहीं होंगे. और आप जानते हैं कि कैमरा क्या दिखाता है. भीड़ है ही नहीं हाथ में दो रिवाल्वर, ये नया जमाना है. जो अनकंस्टीट्यूशनल है, जहां हत्या हुई है, वह जांच का विषय बनता है.
उन्होंने कहा कि बिजनौर में पुलिस ने 18 साल के लड़के की मार-मार कर जान ले ली. पूरे उत्तर प्रदेश को इन्होंने कस्टोडियल डेथ में नंबर एक बना दिया है. यूपी पुलिस बहुत दबाव में है. अगर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ये बात कह रहे हैं तो उनसे बेहतर कौन जानता होगा. भाजपाइयों ने पुलिस पर भी हथकड़ियां लगा दी हैं.
डीजीपी ने दिए ये दिशा-निर्देश
डीजीपी की ओर से नई गाइडलाइन को लेकर जारी किए दिशा-निर्देश में बताया कि एनकाउंटर में अपराधी की मौत या घायल होने पर शूटआउट साइट की वीडियोग्राफी करानी होगी. अगर एनकाउंटर में अपराधी की मौत हो जाती है तो दो डॉक्टरों का पैनल डेड बॉडी का पोस्टमार्टम करेगा, उसकी भी वीडियोग्राफी होगी. और जिस जगह पर शूटआउट हुआ, वहां फॉरेंसिक टीम भी निरीक्षण करेगी.
'एनकाउंटर की जांच करेगी दूसरे थाने की पुलिस'
डीजीपी की तरफ से कहा गया है कि जिस जगह पर एनकाउंटर हुआ है उस इलाके की थाना पुलिस एनकाउंटर की जांच नहीं करेगी, बल्कि दूसरे थाने की पुलिस या क्राइम ब्रांच जांच करेगी. एनकाउंटर में शामिल अफसरों से एक रैंक ऊपर के अधिकारी ही एनकाउंटर की जांच करेंगे. डीजीपी की ओर से सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को ये निर्देश जारी किए गए हैं.
डीजीपी ने ये निर्देश भी दिए हैं कि एनकाउंटर में मारे गए बदमाश के परिवार को तत्काल इसके बारे में जानकारी दी जाए और पंचायतनामा में भी इसकी जानकारी दी जाए. साथ ही एनकाउंटर में इस्तेमाल किए गए हथियारों को तुरंत सरेंडर करना होगा, ताकि हथियारों की जांच की जा सके.
वहीं, जिन मामलों में अपराधी सामान्य या गंभीर रूप से घायल होते हुए हों. इन मामलों में अपराधी के हैंडवाश और अपराधी से बरामद हुए हथियारों का बैलास्टिक परीक्षण जरूर कराया जाए.
आशीष श्रीवास्तव