कांवड़ यात्रा से ठीक पहले यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में इन दिनों नेम प्लेट (पहचान अभियान) को लेकर खासा हंगामा बरपा हुआ है. इसको लेकर सूबे की सियासत में भी घमासान मचा हुआ है. दरअसल, यशवीर महाराज नाम के हिंदूवादी नेता ने ऐलान किया है कि कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों, ढाबों आदि पर उसके मालिक की असली पहचान लिखी होनी चाहिए. गैर धर्म का व्यक्ति दूसरे नाम से दुकान नहीं चला पाएगा. इन सबके बीच अब एक मुस्लिम ढाबा संचालक का बयान चर्चा में है.
आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर स्थित योग साधना आश्रम के महंत स्वामी यशवीर जी महाराज ने 2024 में भी दुकानों पर नेम प्लेट का मुद्दा उठाया था. जिसके बाद शासन ने नेम प्लेट को अनिवार्य कर दिया था. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. उस दौरान कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाला 'संगम होटल' खास चर्चाओं में रहा था क्योंकि इस होटल को सलीम नाम का शख्स चल रहा था.
विवाद के बाद 'संगम होटल' के मालिक सलीम ने पिछले साल ही अपने होटल का नाम बदलकर 'सलीम शुद्ध भोजनालय' रख दिया था, जो आज फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया है. नेम प्लेट पर सुप्रीम कोर्ट की रोक और विवाद के एक साल बीत जाने के बाद भी होटल मालिक सलीम के अंदर ऐसा खौफ पैदा हो गया कि उसने अब तक अपने होटल का नाम 'सलीम शुद्ध भोजनालय' ही रखा हुआ है.
इस होटल की खास बात यह है कि यह हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में स्थित है और इस होटल के सभी कर्मचारी भी हिंदू हैं. वो बताते हैं कि नाम बदलने के बाद भी हमारे होटल के काम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. बल्कि, कांवड़ यात्रा के दौरान कम और बढ़ जाता है.
बकौल सलीम- हमारे खाने में प्याज, लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता. जो लोग भी होटल पर काम करते हैं वो आसपास के रहने वाले हैं. मैं उन्हें परिवार के सदस्य के तौर पर मानता हूं. नेम प्लेट का जो नियम सरकार ने तय किया उसको फॉलो कर रहा हूं. किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया आज तक.
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वहीं, हिंदू संगठनों द्वारा चलाए जा रहे 'पहचान अभियान' को लेकर सलीम कहते हैं कि मेरी यशवीर महाराज से बात हुई थी. उन्होंने कहा था कि अपने नाम से होटल चलाओ, तो मैंने नाम बदल लिया था. तब से वही नाम चल रहा. वैसे भी किसी को अपनी पहचान नहीं छुपानी चाहिए. आखिर सामने वाले को पता तो चला कि होटल का मालिक कौन है.
संदीप सैनी