दिल्ली ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार डॉ. शाहीन अंसारी की कार से बरामद AK47 ने जांच एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. इसी कड़ी में अब डॉ. शाहीन के भाई डॉ. परवेज़ आलम का नाम भी चर्चा में है. एटीएस (ATS) ने लखनऊ में उसके घर पर छापेमारी की, जहां बाहर खड़ी एक सफेद आल्टो कार (UP 11 BD 3563) भी जांच में शामिल हो चुकी है. इस कार पर इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, गुड़म्बा-लखनऊ का गेट पास लगा मिला, जिससे शक और गहराया. जांच में सामने आया कि यह कार सहारनपुर जिले के गांव चकदेवली निवासी मोहम्मद शोएब की थी, जिसने इसे OLX के जरिए डॉ. परवेज़ को बेचा था.
कार जिसने बदल दी जांच की दिशा
ATS की टीम को लखनऊ के IIM रोड स्थित डॉ. परवेज़ के घर से कोई विस्फोटक तो नहीं मिला, लेकिन घर के बाहर खड़ी यह सफेद आल्टो अब इस पूरे केस का अहम हिस्सा बन चुकी है. कार की नंबर प्लेट सहारनपुर (UP11) की थी, जबकि उसका रजिस्ट्रेशन और गेट पास लखनऊ का था. यह असामान्यता जांच एजेंसियों के लिए पहला संकेत बनी कि यह वाहन किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है. जब कार के कागज खंगाले गए तो उस पर मोहम्मद शोएब का नाम सामने आया. एजेंसियों ने तुरंत शोएब को ट्रेस किया और पूछताछ के लिए बुलाया.
शोएब का खुलासा : शादी में मिली थी कार, OLX पर बेची
सहारनपुर के चकदेवली गांव निवासी मोहम्मद शोएब ने बताया कि यह कार उसे 2017 में उसकी शादी पर गिफ्ट में मिली थी. कुछ साल तक उसने इसका इस्तेमाल किया, लेकिन किस्तें न चुका पाने के कारण उसने इसे बेचने का फैसला किया. शोएब ने कार को OLX पर बिक्री के लिए पोस्ट कर दिया. वहीं से उससे सनी नाम के एक युवक ने संपर्क किया, जो डॉ. परवेज़ के क्लीनिक में मेडिकल से जुड़े काम देखता था. सनी ने कहा कि उसके डॉक्टर साहब को कार खरीदनी है. इसके बाद सनी ने शोएब की बात डॉ. परवेज़ आलम से कराई.
दो लाख बीस हजार में हुआ सौदा
शोएब के मुताबिक, सौदा ₹2 लाख 20 हज़ार में तय हुआ. उसने बताया, मैं डॉक्टर परवेज़ से सिर्फ एक बार मिला था, जब हम दोनों RTO ऑफिस में लिखापढ़ी पूरी करने गए थे. उन्होंने सहारनपुर नंबर की बजाय लखनऊ में रजिस्ट्रेशन कराने की बात कही थी. मैंने NOC समेत सभी कागज़ उन्हें दे दिए थे.शोएब ने यह भी कहा कि कार बेचने के बाद उसका डॉक्टर परवेज़ से कोई संपर्क नहीं रहा. न फोन पर बात, न कोई मुलाकात.
ATS को संदेह: कार किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं
ATS सूत्रों के अनुसार, शाहीन की गिरफ्तारी और परवेज़ के नाम सामने आने के बाद जब लखनऊ में छापा पड़ा, तो कार के दस्तावेज़ों ने एजेंसी का ध्यान खींचा कार का नंबर UP 11 BD 3563 सहारनपुर का था, जबकि इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का गेट पास यह दिखा रहा था कि कार लंबे समय से गुड़म्बा इलाके में चल रही थी. एजेंसियों को शक है कि इस कार का इस्तेमाल शाहीन और परवेज़ के बीच संपर्क बनाए रखने या किसी सामग्री की ढुलाई में किया गया हो सकता है. फिलहाल फॉरेंसिक टीम ने कार को सील कर उसके डिजिटल फुटप्रिंट, GPS और अंदरूनी हिस्सों की जांच शुरू कर दी है.
इंटीग्रल यूनिवर्सिटी और क्लीनिक का कनेक्शन
ATS की जांच में यह भी सामने आया कि डॉक्टर परवेज़ इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के मेडिसिन विभाग में सीनियर रेजिडेंट थे. उन्होंने हाल ही में व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था. सूत्रों का कहना है कि उनका सहारनपुर के चौक क्षेत्र में एक क्लीनिक भी था, जहां कुछ महीनों तक उन्होंने प्रैक्टिस की. यही वह जगह है, जहां शोएब की कार को देखने की बात सनी ने कही थी. हालांकि शोएब का कहना है कि वह उस क्लीनिक पर कभी नहीं गया. ATS को शक है कि इस क्लीनिक का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों के आवरण के रूप में किया गया होगा.
OLX पर मिले डिजिटल सबूत
एजेंसी अब OLX के सर्वर से उस चैट और कॉल रिकॉर्डिंग को निकाल रही है, जिसके ज़रिए शोएब और सनी का संपर्क हुआ था. डिजिटल फुटप्रिंट से यह भी पता लगाया जा रहा है कि सनी नामक व्यक्ति वास्तव में कौन है क्या वह मेडिकल असिस्टेंट था या किसी और पहचान से काम कर रहा था. OLX के रिकॉर्ड्स से मिली जानकारी के अनुसार, बातचीत मई 2021 में हुई थी. कार की लिस्टिंग कुछ ही दिनों में हटा दी गई थी, जिससे यह स्पष्ट है कि सौदा जल्दी पूरा हुआ.
ATS की पूछताछ में नए नामों का खुलासा
ATS सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर परवेज़ से पूछताछ में अब तक कई अहम जानकारियां मिली हैं. उसने माना है कि वह डॉ. शाहीन अंसारी (गिरफ्तार डॉक्टर) का भाई है, लेकिन उसने किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि से जुड़ाव से इनकार किया है. फिर भी, एजेंसी को उसके लैपटॉप और मोबाइल से कुछ संदिग्ध दस्तावेज़ और चैट्स मिले हैं, जो फरीदाबाद स्थित अल फलह यूनिवर्सिटी के संपर्कों की ओर इशारा करते हैं.
परिवार सदमे में, गांव में चर्चा तेज
सहारनपुर के गांव चकदेवली में मोहम्मद शोएब के बयान के बाद पूरे इलाके में चर्चा है. ग्रामीणों को भरोसा नहीं हो रहा कि एक शादी में मिली कार अब किसी आतंकी जांच का हिस्सा बन गई है. शोएब ने कहा, मुझे नहीं पता था कि जिसको मैंने कार बेची, वो कभी ऐसी जांच में फंस जाएंगे. मैंने तो बस किस्तों के बोझ से बचने के लिए इसे बेचा था.
ATS की जांच अब तीन दिशाओं में
कार की फॉरेंसिक जांच: क्या इसका इस्तेमाल किसी आतंकी गतिविधि में हुआ?
OLX और डिजिटल ट्रेल: सनी कौन था, और उसका संबंध डॉक्टर परवेज़ से कैसे था?
शाहीन–परवेज लिंक: क्या दोनों भाई-बहन किसी बड़े नेटवर्क से जुड़े थे?
एजेंसी के एक अधिकारी के मुताबिक, यह मामला अब सिर्फ कार की खरीद-बिक्री तक सीमित नहीं है. हमें शक है कि इस गाड़ी का इस्तेमाल लॉजिस्टिक सपोर्ट या विस्फोटक सामग्री की आवाजाही में हुआ हो सकता है.
राहुल कुमार