नीला गमछा, वाल्मीकि के नाम पर एयरपोर्ट, मीरा मांझी के घर चाय... अयोध्या दौरे पर PM मोदी के निशाने पर क्या?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अयोध्या पहुंचे थे. पीएम मोदी ने मीरा मांझी के घर पहुंचकर चाय की चुस्की ली तो साथ ही अयोध्या को वाल्मीकि के नाम पर एयरपोर्ट की सौगात दी. पीएम के अयोध्या दौरे के दौरान फोकस किस पर रहा?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटोः पीटीआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटोः पीटीआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST

देश लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है और राजनीतिक दल राजनीतिक-समीकरण साधने के लिए गोटी सेट करने में लग गए हैं. बड़े नेताओं के दौरे हों या अन्य कार्यक्रम, संकेतों की सियासत शबाब पर है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सबसे बड़े चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में लोकसभा सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के अयोध्या पहुंचे थे. पीएम मोदी के अयोध्या दौरे पर भी सोशल इंजीनियरिंग के साथ ही संकेतों की सियासत की छाप खूब नजर आई.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाव-भंगिमा से लेकर अपने हर काम से मतदाताओं को संदेश देते नजर आते हैं. 30 दिसंबर को अयोध्या में हुई पीएम मोदी की रैली में भी ऐसा ही नजर आया. अयोध्या एयरपोर्ट के नए नाम से लेकर पीएम मोदी के गमछे तक, दलित वोट अपने पाले में करने की कवायद साफ नजर आई. हालांकि, सीधे तौर पर यह कवायद नहीं दिखेगी लेकिन जो लोग पीएम मोदी और बीजेपी को जानते हैं, उन्हें पता है कि वे हमेशा चुनावी मोड में होते हैं ओर मतदाताओं को रिझाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते.
 
लोकसभा में दलित वर्ग यानी एससी के लिए 84 सीटें रिजर्व हैं. 24 फीसदी आबादी वाला दलित वर्ग देश की कुल आबादी में करीब एक चौथाई भागीदारी रखता है. बीजेपी 2024 के चुनाव में 400 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है और इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पार्टी को एक बफर वोट बैंक की जरूरत होगी जिसके लिए पार्टी की नजर दलित वोट बैंक पर है. बीजेपी का फोकस अब इस बात पर है कि एससी आरक्षित सीटों में से किस तरह अधिकतम सीटें जीती जा सकें. आइए, देखते हैं कि कैसे इस रैली के बहाने मोदी ने कैसे अप्रत्यक्ष तरीके से संकेतों की सियासत के जरिए दलित वर्ग को बीजेपी के पक्ष में लाने की कोशिश की थी.

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1. वाल्मीकि के नाम पर अयोध्या एयरपोर्ट

अयोध्या एयरपोर्ट का नामकरण पहले भगवान राम के नाम पर किया जाना था लेकिन लोकार्पण से ठीक पहले इसमें बदलाव हुआ. सरकार ने अयोध्या एयरपोर्ट का नाम भगवान राम की जगह महर्षि वाल्मीकि के नाम पर करने का ऐलान कर दिया. इसमें भी दलितों के लिए एक संदेश था. महर्षि वाल्मीकि का पालन भील परिवार में हुआ था. दलित समाज को इस वजह से वाल्मीकि समाज भी कहा जाता है. एयरपोर्ट का नामकरण वाल्मीकि के नाम पर किए जाने को अयोध्या की धरती से संपूर्ण दलित समाज के लिए बीजेपी के एक संदेश की तरह देखा जा रहा है.

पीएम मोदी ने अयोध्या को दी थी एयरपोर्ट की सौगात (फाइल फोटोः पीटीआई)

2. मीरा मांझी के घर चाय

निषाद समाज से आने वाली मीरा मांझी केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन पाने वाली 10 करोड़वीं लाभार्थी हैं. मोदी सरकार ने महिलाओं को धुएं से आजादी दिलाने के लिए मुफ्त गैस कनेक्शन देने की यह योजना शुरू की थी. पीएम मोदी का मीरा मांझी के घर पहुंचना और चाय पीना ओबीसी-एमबीसी के साथ ही बिहार के दलितों के लिए भी संदेश है. मांझी जाति यूपी में ओबीसी में आती है जबकि बिहार में इसे एससी का दर्जा प्राप्त है.

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पीएम मोदी ने उज्ज्वला योजना की लाभार्थी मीरा मांझी के घर पहुंचकर पी चाय (फाइल फोटो)

3. नीला गमछा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में जनसभा को भी संबोधित किया. इस रैली की तस्वीरों को गौर से देखें तो पाएंगे कि पीएम मोदी ने नीला गमछा लिया हुआ है. नीले रंग को सामान्य रूप से दलित समुदाय से जोड़कर देखा जाता है. इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के झंडे का रंग नीला है तो वहीं दलित राजनीति की पिच पर उन्हें चुनौती दे रहे आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर भी नीला गमछा लेकर चलते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में जनसभा को किया था संबोधित (फाइल फोटोः पीटीआई)

देखने में भले ही यह सब सामान्य लगे, लेकिन वास्तव में सामान्य है नहीं. राजनीति में प्रतीकों का कब और कैसे इस्तेमाल करना है, पीएम मोदी और बीजेपी ने पिछले कुछ साल में करके दिखाया है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव में विपरीत परिस्थितियों के तमाम आकलन पार्टी ने आदिवासी और दलित के साथ ही हिंदू प्रतीकों की सियासत से झुठला भी दिए.

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यूपी में कितनी एससी सीटें

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यूपी में दलितों के लिए 17 सीटें आरक्षित हैं लेकिन अधिकतर सीटों पर दलित वोट बैंक 21 से 22 फीसदी भागीदारी के साथ प्रभावी स्थिति में है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सभी 17 आरक्षित सीटों पर जीत मिली थी लेकिन 2019 के चुनाव में सपा के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी बसपा दो सीटें जीतने में सफल रही थी. बीजेपी की कोशिश 2019 में छिटकी ये सीटें भी जीतने की है.

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मध्य प्रदेश चुनाव से पहले पीएम मोदी का सागर में संत रविदास मंदिर के निर्माण कार्य की आधारशिला रखना हो या अब अयोध्या एयरपोर्ट का नाम वाल्मीकि एयरपोर्ट रखा जाना और बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे का नीला गमछा लेना. पीएम मोदी की दलित संकेतों की यह सियासत यूपी में बीजेपी के कितना काम आती है, यह देखने वाली बात होगी.

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