जेल से छूटेगा निठारी कांड का आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर, रिहाई पर क्या बोले लुक्सर जेल अधीक्षक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड में दोषी सुरेंद्र कोली की 12 मामलों में और मनिंदर सिंह पंढेर की दो मामलों में फांसी की सजा रद्द कर दी है. साथ ही सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह दोनों को निर्दोष करार दिया है. 'आजतक' की टीम ने लुक्सर जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह से मनिंदर के रिहाई के बारे में बातचीत की.

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आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की फाइल फोटो. आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की फाइल फोटो.

अरुण त्यागी

  • नोएडा,
  • 17 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:42 PM IST

नोएडा के चर्चित और बदनाम निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फांसी की सजा रद्द करते हुए बरी कर दिया है. ऐसे में मोनिंदर पंढेर लगभग सभी मामलों में बरी हो गया है. माना जा रहा है कि बहुत जल्द मोनिंदर जेल से रिहा हो सकता है. इसको लेकर आज तक की टीम ने ग्रेटर नोएडा स्थित लुक्सर जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह से रिहाई के बारे में बातचीत की. 

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जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह ने बताया कि जून 2023 में मोनिंदर पंढेर को गाजियाबाद के डासना जेल से ट्रांसफर कर ग्रेटर नोएडा लुक्सर जेल में लाया गया था. मोनिंदर की तबीयत खराब थी. इस वजह से उसको जेल के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया गया. फिलहाल मोनिंदर  की तबीयत ठीक नहीं है. वह बिना व्हीलचेयर के चल नहीं पता है. 

बड़ी होने की सूचना मिलते ही खुश नजर आया मोनिंदर

रिहाई के मामले में जेल अधीक्षक ने कहा कि अभी तक हमारे पास हाई कोर्ट की आर्डर कॉपी नहीं पहुंची है. आर्डर कॉपी आने के बाद ही रिहाई के आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस प्रक्रिया में लगभग 2 दिन का समय भी लग सकता है. जेल अधीक्षक ने ये भी बताया कि जब मोनिंदर को मीडिया के द्वारा बड़ी होने की सूचना मिली, तो काफी खुश नजर आया.

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बता दें कि, दिसंबर 2006 में निठारी कांड का खुलासा किया गया था. तब D-5 कोठी देश के सबसे चर्चित हो गया था. एक बाद आए डेढ़ दर्जन बच्चों और युवतियों के अवशेष, खून से लथपथ कपड़े सहित अन्य सामान बरामद हुआ था. मामले में सुरेंद्र कोली को 13, मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मुकदमों में फांसी की सजा सुनाई गई थी. साल 2005 और 2006 में हुए निठारी कांड में कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे. 

सितंबर महीने में सुनवाई के बाद सुरक्षित रख लिया था फैसला

इसमें तीन मुकदमों में पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी. 16 मुकदमों में CBI कोर्ट गाजियाबाद का फैसला आ गया था. वहीं, 13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत सुनाई और तीन में बरी किया गया था. इसपर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. वहीं, मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मुकदमों में फांसी, एक मुकदमे में सात साल की सजा सुनाई गई थी. साथ ही चार मुकदमों में बरी भी किया गया था. 

इसके बाद फांसी की सजा के खिलाफ दोनों दोषियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर किया था. इसका फैसला सोमवार को न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ओर न्यायमूर्ति एस. एच. ए. रिजवी की खंडपीठ ने सितंबर महीने में सुनवाई करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया था.16 अक्टूबर को इसका फैसला सुनाया गया है. इसमें सुरेंद्र कोली और मोनिंदर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है.

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क्या है निठारी कांड?

7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था. इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी. युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था. इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे. पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था, बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए थे.

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