लखनऊ के पास निगोहा के बख्तौरीखेड़ा गांव में बीमारियों को ठीक करने के बहाने हिंदुओं को ईसाई बनाने का एक बड़ा खुलासा हुआ है. यह रैकेट पिछले दो साल से एक्टिव था. बजरंग दल के धर्मेंद्र शर्मा की शिकायत पर पुलिस ने शनिवार को केस दर्ज किया और आरोपी मलखान उर्फ मैथ्यूज को गिरफ्तार कर लिया. वह हर रविवार को खेत में बने एक हॉल में 'चंगाई सभा' आयोजित करता था. पुलिस ने अब उस हॉल को सील कर दिया है और मामले की जांच जारी है.
खेतों के बीच बना था 'मायालोक'
पुलिस ने जिस हॉल को सील किया है, वह गांव से 2 किलोमीटर दूर खेतों के बीच बना हुआ है. 'आज तक' की टीम जब वहां पहुंची तो वहां आधुनिक खिड़कियां, बड़े स्पीकर, बाइबल और यीशु मसीह की तस्वीरें दिखीं. ये सभी चीजें इस बात का संकेत देती हैं कि ये सब सिर्फ प्रार्थना के लिए नहीं, बल्कि धर्मांतरण के लिए इस्तेमाल की जा रही थीं. सभा में आने वालों के लिए खाने-पीने का भी इंतजाम होता था, जिस पर करीब 5-6 हजार रुपये खर्च होते थे.
'सिंदूर-बिंदी नहीं लगाती थीं महिलाएं'
इस गिरोह का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने गांवों में 'मिशन शक्ति' चौपाल लगाई. चौपाल में ऐसी कई महिलाएं थीं, जिन्होंने धर्मांतरण के कारण सिंदूर और बिंदी लगाना बंद कर दिया था. एसीपी रजनीश वर्मा और निगोहां इंस्पेक्टर अनुज तिवारी ने जब जांच की तो पता चला कि यह धर्मांतरण का एक संगठित रैकेट है. पूछताछ में सामने आया कि मैथ्यूज ने खुद भी 2016 में ईसाई धर्म अपना लिया था.
विदेशी फंडिंग की जांच जारी
जांच के दौरान पुलिस को मैथ्यूज के दो बैंक खातों का पता चला है, जिनकी जांच की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, यह गिरोह गरीबों और दलितों को आर्थिक मदद, राशन और बीमारियों को ठीक करने का झांसा देकर उनका धर्मांतरण कराता था. मैथ्यूज ने अकेले 500 से अधिक लोगों को ईसाई बनाया था. मोहनलालगंज, नगराम और निगोहां जैसे इलाके इस धर्मांतरण के केंद्र बन गए थे.
समर्थ श्रीवास्तव