हिमाचल प्रदेश में साधु जीवन जी रहा एक युवक SIR फॉर्म की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए लगभग 980 किलोमीटर की यात्रा कर यूपी के कानपुर पहुंचा. लेकिन जब वह अपने गांव में घर पर पहुंचा तो साधु जैसा रूप देखकर परिवार ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया. युवक ने अपना नाम सर्वेश बताया और घर का बेटा होने का दावा किया. परिजनों ने उसकी बात नहीं मानी. मामला बढ़ने पर पुलिस को बुलाया गया. दस्तावेजों की जांच के बाद पुलिस ने पुष्टि करते हुए कहा कि ये सर्वेश ही है, जिसके बाद स्थिति सामान्य हुई.
सजेती थाना क्षेत्र के धरमंगदपुर गांव के दिवंगत इंद्रपाल सचान का बेटा सर्वेश उर्फ कल्लू सचान ने डीएवी कॉलेज कानपुर से स्नातक किया था. पढ़ाई खत्म होने के बाद 1989 में वह घर छोड़कर हरिद्वार चला गया और वहीं साधु बन गया. बाद में वह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के दौड़ी देवी टपरे गांव स्थित शिवशक्ति धाम मंदिर में रहने लगा.
बीते कई वर्षों में वह बहुत कम गांव आया. लगभग नौ साल पहले उसकी पैतृक जमीन को लेकर माता-पिता और रिश्तेदारों से गंभीर विवाद हुआ था. मामला इतना बढ़ा कि ग्रामीणों को बीच में आना पड़ा और विरोध के चलते उसे गांव छोड़ना पड़ा. इसके बाद वह लंबे समय तक वापस नहीं लौटा. अब SIR फॉर्म के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के लिए वह 3 दिसंबर को गांव पहुंचा.
गांव में घंटों चली पंचायत, तब परिवार मानने को तैयार हुआ
गांव आने के बाद वह अपने एक रिश्तेदार सुभाष के घर रुका. साधु के रूप में उसके आने की खबर जब घाटमपुर में रह रहे उसके परिवार को हुई, तो वे गांव पहुंचे और सामने खड़े व्यक्ति को सर्वेश मानने से साफ इनकार कर दिया. ग्रामवासियों की सूचना पर सजेती पुलिस मौके पर पहुंची.
पुलिस को युवक ने अपनी शैक्षिक योग्यता के कागज, पुरानी पहचान और दस्तावेज दिखाए. जांच के बाद सभी कागज सही पाए गए और यह साबित हुआ कि वही सर्वेश है. इसके बाद गांव में लगभग पांच घंटे तक पंचायत चली. पुलिस और ग्रामीणों ने समझाया, जिसके बाद परिजन शांत हुए. पुलिस ने बताया कि किसी भी पक्ष ने कोई लिखित शिकायत नहीं दी है.
सिमर चावला