कहते हैं… दुनिया में रोशनी फैलाने के लिए एक दीपक ही काफी होता है. बागपत से ऐसी ही एक रोशनी निकली है. यहां एक प्रशासनिक अधिकारी ने अपनी मृत्यु के बाद भी किसी की जिंदगी में उजाला भरने का फैसला किया है. बागपत की डीएम अस्मिता लाल ने मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लेकर वह मिसाल कायम कर दी है, जो न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक संवेदनशील संदेश भी है. ऐसा संकल्प लेने वाली वो पहली अफसर भी हैं.
दरअसल बागपत की जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने उन्हें प्रशासनिक जिम्मेदारियों से आगे मानवता की पंक्ति में खड़ा कर दिया है. जिले के खेकड़ा कस्बे में एडीके जैन नेत्र अस्पताल के 6वें फाउंडेशन कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचीं डीएम ने अस्पताल का निरीक्षण किया और नेत्र स्वास्थ्य से जुड़ी व्यवस्थाओं को करीब से देखा. कार्यक्रम के दौरान एक साधारण-सी मेज़ पर रखा संकल्प पत्र जैसे ही उनके सामने आया, डीएम अस्मिता लाल ने बिना किसी औपचारिकता के मरणोपरांत अपने नेत्रदान करने का संकल्प भर दिया.
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सोशल मीडिया पर हो रही है सराहना
यह फैसला न सिर्फ साहसिक है, बल्कि प्रशासनिक जगत में एक मिसाल भी है, क्योंकि मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लेने वाली वह पहली IAS अफसर बन गई हैं. दिलचस्प बात यह रही कि अस्मिता लाल ने अपने इस निजी और मानवीय निर्णय को मीडिया से दूर रखा. उन्होंने इसे प्रचार या सुर्खियों का विषय नहीं बनने दिया. लेकिन जिला सूचना विभाग के मीडिया सेल ने आधिकारिक तौर पर इसकी जानकारी साझा की. जिसके बाद सोशल मीडिया पर मानो सराहना की बाढ़ आ गई.
लोगों ने डीएम अस्मिता लाल की इस पहल को “मानवता की रोशनी”, “प्रेरक कदम”, “जीवन देने वाला निर्णय” जैसे शब्दों में खूब सराहा. साथ ही लोगों ने कहा कि नेत्रदान वही कर सकता है, जिसमें संवेदनशीलता हो. IAS का यह कदम समाज को यह बताता है कि पद से बड़ी होती है सोच… और सोच से ही बदलती है दुनिया.
मनुदेव उपाध्याय