लखनऊ से Pakistan पर निशाना! BrahMos Missile निर्माण का प्लांट तैयार, 11 मई को उद्घाटन

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 11 मई को ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) निर्माण संयंत्र (प्लांट) का औपचारिक उद्घाटन होगा. सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' को दुनिया की सबसे तेज और विध्वंसक मिसाइलों में गिना जाता है.

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ब्रह्मोस मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ ,
  • 08 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:31 AM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच 'जंग' जैसे हालात हैं. भारतीय सेना द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च करने के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. इस बढ़ते तनाव के बीच, देश की सामरिक क्षमता को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 11 मई को ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) निर्माण संयंत्र (प्लांट) का औपचारिक उद्घाटन होगा. 

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गौरतलब है कि सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' को दुनिया की सबसे तेज और विध्वंसक मिसाइलों में गिना जाता है. यह अब उत्तर प्रदेश के लखनऊ में निर्मित होगी. ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण संयंत्र न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होगा. 

UPEIDA के एसीईओ हरि प्रताप शाही के मुताबिक, यह संयंत्र लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में 80 हेक्टेयर जमीन फ्री में दी गई थी. साढ़े 3 वर्षों में रिकॉर्ड समय में इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, ये राज्य का पहला हाईटेक रक्षा निर्माण केंद्र होगा. 

यहां ब्रह्मोस के साथ ही अन्य रक्षा उपकरणों और एयरोस्पेस तकनीक से संबंधित उपकरणों का निर्माण भी किया जाएगा. ब्रह्मोस संयंत्र से करीब 500 इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. जबकि, हजारों कुशल, अर्द्धकुशल और सामान्य श्रमिकों को परोक्ष रूप से काम मिलने की संभावना है. 

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बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण BrahMos Aerospace के तहत किया जा रहा है, जो भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस की सरकारी संस्था NPO Mashinostroeninya के बीच एक संयुक्त उद्यम है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसमें भारत की हिस्सेदारी 50.5% और रूस की 49.5% है. बताया जा रहा है कि यह भारत का पहला ऐसा रक्षा संयुक्त उद्यम है जो किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर स्थापित किया गया है. इससे 'मेक इन इंडिया' को बल भी मिलेगा. 

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