पैरों के दर्द का इलाज करा रही थी महिला, एक्स-रे में आया चौंकाने वाला सच, रिपोर्ट देखकर चौंके डॉक्टर

ब्रिटेन की 18 साल की युवती ग्रेसी बटलर पैरों के दर्द का इलाज करा रही थी. पहले मांसपेशियों का दर्द और टेंडोनाइटिस बताया गया, लेकिन एक्स-रे रिपोर्ट में सामने आया दुर्लभ और खतरनाक कैंसर. डॉक्टर भी हैरान रह गए.

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ब्रिटेन की 18 साल की ग्रेसी बटलर को पैरों में दर्द के कारण डॉक्टर उनका गलत इलाज कर रहे थे, बाद में बायोप्सी के बाद पता चला कि उन्हें कैंसर है. ( Photo: AI Generated) ब्रिटेन की 18 साल की ग्रेसी बटलर को पैरों में दर्द के कारण डॉक्टर उनका गलत इलाज कर रहे थे, बाद में बायोप्सी के बाद पता चला कि उन्हें कैंसर है. ( Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:35 AM IST

ब्रिटेन की 18 साल की ग्रेसी बटलर की जिंदगी अचानक बदल गई, जब डॉक्टरों ने इलाज के दौरान पहले उसके पैरों के दर्द को मांसपेशियों का दर्द और फिर टेंडोनाइटिस बताया. लेकिन हकीकत कहीं ज्यादा खौफनाक निकली जब कई दिनों के इलाज के बाद पता लगा कि महिला स्पिंडल सेल सार्कोमा, यानी कैंसर से पीड़ित हैं. इसके बाद ग्रेसी को तुरंत कीमोथेरेपी शुरू करनी पड़ी. डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि उनका पैर काटना पड़ सकता है और भविष्य में वे मां नहीं बन पाएंगी. उनके अंडे सुरक्षित रखने का वक्त नहीं था. कीमोथेरेपी, दर्दनाक सर्जरी और बार-बार के संक्रमण ने उन्हें तोड़ दिया. 

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गलत इलाज से जिंदगी बदली
ग्रेसी को डॉक्टर ने शुरुआत में मांसपेशियों में दर्द और बाद में टेंडोनाइटिस का इलाज किया, लेकिन जब फिजियोथेरेपी और मसल जैल से दर्द कम नहीं हुआ, तो यह स्पष्ट हो गया कि कुछ और गंभीर समस्या है. एक रात स्थिति तब और बिगड़ गई जब ग्रेसी चल नहीं पा रही थी. एक्स-रे और उसके बाद की बायोप्सी से चौंकाने वाला सच सामने आया. उसे स्पिंडल सेल सार्कोमा था, जो एक दुर्लभ और आक्रामक कैंसर ट्यूमर है. उस महिला की जिंदगी रातों रात बदल गई. शेफील्ड की ग्रेसी ने बताया, "मैं और मेरा परिवार सदमे में थे. " ग्रेसी को जल्द ही इलाज के लिए ले जाया गया, कीमोथेरेपी करवाया गया और उसे चेतावनी दी गई कि वह अपना पैर खो सकती है या भविष्य में बच्चे पैदा करने में असमर्थ हो सकती है.

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स्पिंडल सेल सार्कोमा का खुलासा
ग्रेसी के पास अपने अंडे सुरक्षित रखने का समय नहीं था, जिससे वह बहुत डरी और घबराई हुई थी. उन्होंने सबसे कठिन कीमोथेरेपी का इलाज शुरू किया. इस दौरान टीनएज कैंसर ट्रस्ट लगातार उसके साथ रहा. इलाज के चलते उसे कई हफ्ते अस्पताल में रहना पड़ा और वह बार-बार संक्रमण से जूझती रही. इलाज के चार महीने बाद डॉक्टरों को उसकी टिबिया (पिंडली की हड्डी) निकालकर कैंसर वाली कोशिकाएं (cell) हटानी पड़ीं. फिर उसी हड्डी को दोबारा पैर में लगाकर धातु की प्लेटों से जोड़ दिया गया.

घाव और संक्रमण से जिंदगी हुई मुश्किल
ग्रेसी ने बताया कि यह ऑपरेशन बेहद कठिन था. इसके बाद कीमोथेरेपी ने घाव भरने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया. उसकी सर्जरी से बने 20 सेंटीमीटर लंबे घाव बार-बार संक्रमण के कारण और भी गहरे हो गए और ठीक नहीं हो पा रहे थे. कीमोथेरेपी की वजह से उसकी त्वचा जलने लगी थी और पूरे शरीर में अंदर ही अंदर छाले पड़ गए थे.

सेप्सिस और लगातार ऑपरेशनों ने जिंदगी और भी मुश्किल बना दी. लेकिन ग्रेसी ने हार नहीं मानी. आज 32 साल की उम्र में वे अपने 10 साल के बेटे रॉक्स को अकेले पाल रही हैं. कैंसर के बाद मां बनना उनके लिए एक "चमत्कार" था.अब वे रॉदरहैम हॉस्पिस में वॉलंटियर मैनेजर हैं और टीनएज कैंसर ट्रस्ट के काम से युवाओं को प्रेरित कर रही हैं. ग्रेसी कहती हैं –"कैंसर ने मुझे तोड़ा भी और गढ़ा भी। 12 साल बाद मैं जिंदा हूं, मेरा बेटा है और यही मेरी सबसे बड़ी जीत है."

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