राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 6 महीने के कार्यकाल पर चर्चा करते हुए एक पॉलिटिकल साइंटिस्ट ने उनके खिलाफ आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल कर दिया. अमेरिकी राजनीतिक विज्ञानी कैरोल क्रिश्टिन फेयर पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश पत्रकार मोइद पीरजादा के साथ एक चर्चा में शिरकत कर रही थीं. इस दौरान उन्हें ट्रंप को Ch***ya कहकर संबोधित किया.
कैरोल क्रिश्टिन फेयर एक अमेरिकी राजनीतिक वैज्ञानिक और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के वॉल्श स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. वह दक्षिण एशियाई राजनीतिक और सैन्य मामलों में विशेषज्ञता रखती हैं. कैरोल क्रिश्चयन फेयर अमेरिकन कूटनीति को समझने वाली विशेषज्ञ मानी जाती हैं. उनका विकीपीडिया पर अपना पेज बना हुआ है.
कैरोल क्रिश्टिन फेयर अमेरिका विदेश नीति पर मोइद पीरजादा के चर्चा कर रही थीं. इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या वे यह समझती हैं कि अमेरिका भारत को चीन का काउंटरबैलेंस समझने के अपने नजरिये से आगे बढ़ चुका है.
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता है. ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारी अपने फील्ड में एक्सपर्ट नहीं हैं. करोल क्रिस्टिन ने कहा कि हमें याद रखना होगा कि हमारी नौकरशाही कैसी है. इस नौकरशाही ने 25 साल तक देश के लिए काम किया है. हमें समझ में नहीं आता है कि हमारी नौकरशाही की विशेषज्ञता कहां खो गई.
अपना जबाव जारी रखते हुए उन्होंने आगे कहा, "मेरे अंदर का आशावाद यह विश्वास करना चाहेगा कि ब्यूरोक्रेसी इसे संभाल लेगी, लेकिन मेरे अंदर का निराशावाद कहता है कि अभी तो छह महीने ही हुए हैं और हमें इस Ch***ya के साथ चार साल पूरे करने हैं."
क्रिश्टिन फेयर का ये कमेंट सुनकर मोइद पीरजादा हंसने लगे. मोइद पीरजादा ने कहा कि मैं इस लफ्ज का उर्दू में बार बार बोलता हूं और मेरे कई दर्शक आपत्तियां जताते हैं, और आपने अंग्रेजी की एक परिचर्चा में इस शब्द का इस्तेमाल कर दिया. इस पर कैरोल क्रिश्टिन फेयर ने आगे कहा कि वो सचमुच Ch***ya हैं.
मोइद पीरजादा ने कहा कि इस शब्द की इतनी खास अहमियत है कि कुछ स्थितियों को आप इस लफ्ज का इस्तेमाल किए बिना बता ही नहीं सकते.
कैरोल क्रिश्टिन फेयर के विकीपीडिया पेज के अनुसार फेयर ने रैंड कॉरपोरेशन में वरिष्ठ राजनीतिक विज्ञानी, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन में राजनीतिक अधिकारी और यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ पीस में वरिष्ठ शोध सहयोगी के रूप में कार्य किया है. वह दक्षिण एशिया में राजनीतिक और सैन्य मामलों की विशेषज्ञ भी हैं.
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