विदेश में एक दूसरे से कैसे मिलते हैं भारत-पाक के अफसर? पूर्व जनरल ने बताई अंदर की बात

विदेशों में भारतीय सेना के अधिकारियों से जब इनके पड़ोसी देशों के आर्मी अफसर मिलते हैं तो क्या होता है या फिर येलोग कैसे मिलते हैं? पूर्व सेनाध्यक्ष ने कुछ मजेदार किस्से बताए.

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विदेशों में कैसे मिलते हैं भारत-पाक आर्मी अफसर (फोटो - AFP) विदेशों में कैसे मिलते हैं भारत-पाक आर्मी अफसर (फोटो - AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:33 PM IST

विदेशों में भारत और पाकिस्तान की सेना के अफसर आपस में कैसे व्यवहार करते हैं? एक दूसरे को लेकर क्या नजरिया होता है? बाहरी देशों में भारत और इनके पड़ोसी देश के आर्मी अफसर कैसे मिलते हैं, इस बारे में पूर्व थल सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवने ने काफी दिलचस्प जानकारी दी. 

मनोज मुकुंद नरवने ने सेना में अपनी सेवा के 40 वर्षों के अनुभव को किताब का रूप दिया है. इनकी किताब का नाम है - 'द कंटोनमेंट कॉन्सप्रेसी'. इसी को लेकर आजतक रेडियो के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने पड़ोसी मुल्कों से जुड़ी इंडियन आर्मी की कई मजेदार किस्से बताएं. 

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नरवने साहब ने बताया कि विदेशों में भारतीय सेना के अधिकारियों से जब इनके पड़ोसी देशों के आर्मी अफसर मिलते हैं तो क्या होता है या फिर येलोग कैसे मिलते हैं. दरअसल, भारत, पाकिस्तान, चीन से अलग किसी दूसरे देश में भारत और इसके पड़ोसी देशों की सेनाएं कई बार पीस कीपिंग फोर्स का हिस्सा रही है. 

विदेशी धरती पर अच्छे दोस्त बन जाते हैं हमारे पड़ोसी
मनोज मुकुंद नरवने ने बताया कि पीस कीपिंग फोर्स में जब विदेशी धरती पर हमारी तैनाती होती है तब हम पाकिस्तानी आर्मी से भी मिलते हैं. जब मैं म्यांमार में पाकिस्तान आर्मी के साथ पीस कीपिंग फोर्स में  तैनात था. वहां हम पाकिस्तानी सेना के अफसर के बहुत अच्छे दोस्त थे. 

'बाहर सच में किसी पड़ोसी की तरह मिलकर रहते हैं'
मनोज नरवने के अनुसार दूर किसी विदेशी धरती पर जब भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका की सेना होती है तो वहां दक्षिण एशिया वाली भावना होती है.  इसलिए पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश जितने भी हैं, बाहर बहुत अच्छे ढंग से मिलजुलकर रहते हैं. वहां ऐसा लगता है जैसे हम सभी एक जगह से ही हैं. 

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साथ मिलकर रहने की दूसरी वजह हमारे खान-पान का काफी मिलना-जुलना होता है.  हम एक ही तरह का खाना खाते हैं. इस वजह से खाने-पीने के दौरान बाहर हम दोस्त बन जाते हैं. वहीं जब हम वापस अपने-अपने देश चले जाते हैं, तब दुश्मनी की भावना आ जाती है. 

'विदेशों में दोस्त की तरह मिलते हैं हमलोग'
मनोज नरवने ने बताया कि म्यांमार में पीस कीपिंग फोर्स में तैनाती के दौरान मेरे साथ जो पाकिस्तान आर्मी का अफसर था, उसे मुझसे काफी अच्छे और ज्यादा हिंदी गाने आते थे. जब कभी वहां पार्टी होती थी, तो वह मुझसे अच्छे हिंदी गाने गाता था और मैं शर्मिंदा हो जाता था. दरअसल, हम एक दूसरे के जैसे ही हैं. हमारे बीच जो सरहद हैं वो आर्टिफिशियल तरीके से बनाई गई हैं.

यह भी पढ़ें: 'शराब पीने हमारे पास आते थे पाकिस्तानी सेना के अफसर...', पूर्व सेना प्रमुख ने बताया सीक्रेट

अपने देश में कुछ और बाहर कुछ अलग ही होता है पाकिस्तानी आर्मी का रंग 
मनोज नरवने ने चार दशकों तक भारतीय सेना के लिए काम किया. अपने कार्यकाल के दौरान इनकी कई बार देश से बाहर पीस कीपिंग फोर्स में तैनाती हुई, जहां इन्हें पड़ोसी देश की आर्मी के अफसरों से मिलने का मौका मिला. इन्होंने बताया कि पाकिस्तानी आर्मी सबके सामने कुछ और होते हैं और पर्दे के पीछे कुछ और. 

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बाहर पाकिस्तानी आर्मी अफसर चोरी-छिपे पीते हैं शराब
उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी के अफसरों के बारे में एक और मजेदार बात बताई कि कैसे विदेशों में शराब पीने के लिए वे भारतीय सेना के खेमों में चोरी-छिपे आते थे. दरअसल, पाकिस्तान में सेना के अंदर शराब पीना प्रतिबंधित है. इसलिए विदेशों में पाकिस्तानी आर्मी अफसर भारतीय अधिकारियों के पास आकर ड्रिंक की रिक्वेस्ट करते हैं और छिपकर इनके कैंप ही शराब पीते हैं. 

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