देश पराया छोड़ के आजा...90 लाख में H-1B वीजा! ट्रंप के फैसले पर सोशल मीडिया पर छाए मीम्स

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हर दिन कुछ ऐसा कर ही देते हैं कि पूरी दुनिया की नज़र उन पर टिक जाती है. उनके कई फैसलों की वजह से न सिर्फ सुर्खियां बनती हैं, बल्कि लोगों की नींद भी उड़ जाती है. हाल ही में ट्रंप ने फिर ऐसा कदम उठाया है, जिसने कंपनियों से लेकर सोशल मीडिया तक हलचल मचा दी है.

Advertisement
ट्रंप के इस फैसले का सबसे बड़ा असर भारतीयों पर ही पड़ेगा (Photo: Reuters) ट्रंप के इस फैसले का सबसे बड़ा असर भारतीयों पर ही पड़ेगा (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:30 AM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हर दिन कुछ ऐसा कर ही देते हैं कि पूरी दुनिया की नजर उन पर टिक जाती है. उनके कई फैसलों की वजह से न सिर्फ सुर्खियां बनती हैं, बल्कि लोगों की नींद भी उड़ जाती है. हाल ही में ट्रंप ने फिर ऐसा कदम उठाया है, जिसने कंपनियों से लेकर सोशल मीडिया तक हलचल मचा दी है.

Advertisement

ट्रंप ने एक प्रोकेलेमेशन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत अब जो भी कंपनियां H-1B वीज़ा प्रोग्राम के तहत विदेशी कर्मचारियों को हायर करना चाहेंगी, उन्हें हर साल 100,000 डॉलर यानी करीब 90 लाख रुपये की भारी फीस देनी होगी.

इस फैसले से न सिर्फ अमेरिका में रह रहे प्रवासियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, बल्कि उन लोगों का ‘अमेरिकन ड्रीम’ भी महंगा हो गया है जो वहां जाकर करियर बनाना चाहते हैं.

इस कदम का असर सोशल मीडिया पर भी साफ दिखा. X पर यूजर्स ने इस पर खूब चर्चा की और मीम्स की झड़ी लगा दी. आइये देखते हैं कुछ ऐसे ही मजेदार पोस्ट.

 

देश पराया छोड़ के आजा...
 

H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका की उन कंपनियों के लिए शुरू किया गया था जिन्हें अस्थायी तौर पर विदेशी कामगारों की जरूरत पड़ती है. इस प्रोग्राम का मकसद खास कौशल वाले प्रोफेशनल्स को लाकर उद्योग की बढ़ती डिमांड पूरी करना था. खासकर टेक्नोलॉजी सेक्टर में यह वीजा बेहद अहम माना गया है, क्योंकि इससे कंपनियों को हाई-स्किल्ड प्रोफेशनल्स आसानी से उपलब्ध हो जाते थे.

Advertisement

प्रोकेलेमेशन में क्या कहा गया?

ट्रम्प के आदेश में यह दावा किया गया कि H-1B प्रोग्राम अब अपने असली उद्देश्य से भटक चुका है. दस्तावेज में लिखा गया कि H-1B नॉन-इमिग्रेंट वीजा प्रोग्राम को इस मकसद से बनाया गया था कि अस्थायी तौर पर हाई-स्किल्ड टैलेंट को अमेरिका लाया जा सके. लेकिन इसे जानबूझकर इस तरह इस्तेमाल किया गया कि अमेरिकी कामगारों को हटाकर कम वेतन और कम कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों को रखा जा सके.

आईटी कंपनियों पर फोकस

प्रोकेलेमेशन में खास तौर पर आईटी सेक्टर का जिक्र किया गया. इसमें कहा गया कि सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनियों ने H-1B सिस्टम का सबसे अधिक दुरुपयोग किया है, जिससे अमेरिकी कामगारों को बड़ा नुकसान हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2003 में H-1B प्रोग्राम में आईटी कर्मचारियों की हिस्सेदारी 32% थी, जबकि पिछले पांच वर्षों में यह बढ़कर औसतन 65% से भी ज्यादा हो गई है.
 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement