आज से 20 साल पहले 11 मई 1998 को भारत ने पोकरण रेंज में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए थे. इसके साथ ही भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश की फेहरिस्त में शामिल हो गया था.
बताया जाता है कि परमाणु परीक्षण बेहद खुफिया तरीके से अंजाम दिया गया था. उस वक्त वाजपेयी सरकार सत्ता में तीन माह पहले ही आई थी, लेकिन सरकार ऐसा कदम उठाएगी इसकी किसी को भी भनक तक नहीं थी.
अमेरिका, चीन से लेकर पाकिस्तान तक भारत के इस कदम से हर कोई हैरान था. क्योंकि अमेरिकी सैटेलाइट भारत की खुफिया गतिविधियों पर नजर रख रहे थे. इसके बावजूद यह खबर किसी को नहीं लगी.
इस पूरे मिशन की अगुवाई पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी. मिशन को नाम दिया गया था 'ऑपरेशन शक्ति'. इससे पहले भारत ने 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार में पहला परमाणु परीक्षण किया था. उसे मिशन 'स्माइलिंग बुद्धा' नाम दिया गया था.
उस वक्त भारत को अंदेशा था कि अगर परमाणु परीक्षण की भनक अमेरिका या पाकिस्तान को लग गई तो कई तरह के दबाव बनाए जाएंगे. इसको ध्यान में रखते हुए भारतीय इंटेलिजेंस ने एक खुफिया प्लान बनाया. वैज्ञानिक और इंजीनियर्स को सेना की वर्दी में अलग-अलग शहरों से होते हुए पोकरण ले जाया गया. बाद में इनकी तस्वीर सार्वजनिक की गई.
भारतीय सेना की 58वीं इंजीनियर रेजीमेंट ने परमाणु परीक्षण की तैयारियां रात में ही कर ली थी. ताकि दिन में किसी भी तरह की हलचल नहीं हो. एपीजे कलाम भी साइट विजिट के लिए झुंड में ना जाकर अकेले गए थे. 2
फिर 10 मई की रात करीब 3 बजे सेना के ट्रकों के जरिए परमाणु बमों को पोकरण लगाया गया और कुएं नुमा गड्ढों में दबाकर ऊपर से बालू डाल दी गई. फिर धमाके के साथ ही एपीजे कलाम ने परीक्षण की सफलता की घोषणा की.