मौत के खौफ ने जौनपुर के एक शख्स को स्त्री के वेश में रहने को मजबूर कर दिया है. माता-पिता, भाई और दो-दो बेटे-बेटियों समेत परिवार के दर्जन भर सदस्यों की हुई मौत से सहमा यह शख्स अंधविश्वास के चलते सोलह श्रृंगार कर एक महिला की तरह जीवन यापन कर रहा है.
जौनपुर जिले के हौज गांव में सोलह श्रृंगार कर घरेलू कामकाज निपटा रहा चिंताहरण चौहान (66) पिछले 27 सालों से महिला का रूप धारण किए हुए है. इसके पीछे अंधविश्वास है. पिछले 27 सालों से चौहान मौत को धोखा देने के लिए प्रतिदिन एक दुल्हन की तरह लाल साड़ी, बड़ी नथुनी, चूड़ियां और झुमका पहनते हैं. चिंताहरण की पहली शादी 14 साल की उम्र में हो गई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में उनकी पत्नी की मौत हो गई.
21 साल की उम्र में चिंताहरण पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर में एक ईंट भट्टे पर काम करने गए थे और वहां मजदूरों के भोजन के लिए अनाज खरीदने का काम करने लगे. वह जहां से नियमित रूप से अनाज खरीदते थे, उस दुकान का मालिक उनका दोस्त बन गया. चार साल बाद चौहान ने उस दुकानदार की बेटी से शादी कर ली. उनके परिवार ने इस शादी पर आपत्ति जताई तो चौहान ने अपनी बंगाली पत्नी को तुरंत छोड़ दिया और घर लौट आए. इससे दुखी होकर उस लड़की ने आत्महत्या कर ली. एक साल बाद चौहान जब वहां गए तो उन्हें इसकी जानकारी हुई.
चिंताहरण ने फिर तीसरी शादी की. शादी के कुछ महीनों के बाद वह बीमार हो गया और उसके परिवार के सदस्य एक-एक कर मरने लगे. चिंताहरण के पिता राम जियावन, बड़े भाई छोटऊ, उनकी पत्नी इंद्रावती, उनके दो बेटे, छोटा भाई बड़ेऊ की मौत काफी कम अंतराल पर हो गई. इसके बाद चिंताहरण के भाइयों की तीन बेटियों और चार बेटों की मौत भी बहुत जल्द हो गई.
चौहान ने कहा कि उनकी बंगाली पत्नी लगातार उनके सपने में आती. वह मुझ पर धोखा देने का आरोप लगाती और तेज-तेज रोती. एक दिन सपने में मैंने उससे माफी मांगी और मुझे तथा मेरे परिवार को माफ करने के लिए विनती की. उसने मुझे कहा कि मैं दुल्हन के परिधान में उसे अपने साथ रखूं और मैं ऐसा करने के लिए राजी हो गया. उसी दिन से मैं दुल्हन बन कर रहा हूं. उसके बाद से परिवार में मौतों का सिलसिला रुक गया है.
चौहान ने कहा कि उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हो गया है और उनके बेटे रमेश और दिनेश भी स्वस्थ हो गए हैं, हालांकि कुछ सालों पहले उनकी पत्नी की मौत हो गई. चिंताहरण ने बताया कि शुरुआत में लोगों ने मेरी हंसी उड़ाई, लेकिन मैंने यह सब अपने परिवार को बचाने के लिए किया. अब लोगों के दिल में मेरे लिए सहानुभूति है.
अंधविश्वास के चक्कर में चिन्ताहरण द्वारा महिला का वेश धारण करने का निर्णय को गांव वाले भी सही मानते हैं. इसे चिंताहरण का पागलपन मानें या अन्धविश्वास, लेकिन वह सपने की बात पर अडिग है और स्त्री वेश में रहकर अपने दो बचे लड़कों की मौत से रक्षा कर रहा है.