महज 3 फीट लंबाई होने की वजह से मेडिकल कॉलेज में दाखिले से इनकार किए जाने के बाद गणेश बरैया ने अपनी विकलांगता और ऐसी सोच के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी वो अब दूसरों के लिए मिसाल है. नीट जैसी मुश्किल परीक्षा में पास होने के बाद भी डॉक्टर बनने से वंचित रहने पर 3 फीट के गणेश ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और केस जीतने के बाद अब भावनगर के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेंगे. अब गणेश के डॉक्टर बनने का सपना सच होगा.
सामान्य से बेहद कम लंबाई और महज 15 किलो वजन वाले 18 साल के गणेश को देखकर कोई भी उसे बच्चा समझ लेता था और शायद यही वजह थी की साल 2018 की NEET परीक्षा में 223 अंक हासिल करने के बाद भी मेडिकल कॉलेज ने उन्हें दाखिला देने से इनकार कर दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गणेश के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि विकलांगता कि वजह से उन्हें अपना करियर बनाने से नहीं रोका जा सकता है.
हालांकि गणेश को इस लड़ाई को जीतने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. कद-काठी की वजह से कॉलेज के एडमिशन देने से इनकार करने पर पहले उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका लगाई, जब वहां से फैसला उनके पक्ष में नहीं आया तो उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बनाया. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने गणेश की दलीलों को सही मानते हुए उनके पक्ष में फैसला दिया.
अब केस जीतने के बाद गुजरात के भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में गणेश को एडमिशन मिलेगा. गणेश इस जीत से बेहद उत्साहित हैं और उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं, मुझे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलेगा जिसके बाद मैं अपना सपना पूरा कर सकूंगा.' उन्होंने कहा कि, वो डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहते हैं. गणेश भावनगर के ही निवासी भी हैं.
गणेश के एडमिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उनका पूरा परिवार बेहद खुश है और उन्हें उम्मीद है अब उनके घर का लाडला डॉक्टर बनकर आम लोगों की सेवा कर पाएगा.