शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के गया में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. यह दौरा सिर्फ़ राजनीति और आर्थिक विकास का प्रतीक नहीं है, बल्कि उस पवित्र भूमि को भी सम्मान देता है, जहां अध्यात्म और शांति का गहरा संबंध है. गया की वह स्थान है जहां भगवान गौतम बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. यह सिर्फ़ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि विश्व भर के बौद्ध धर्म अनुयायियों के लिए आस्था और प्रेरणा का केंद्र है.
इतना ही नहीं गया अपनी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक खूबसूरती और अनोखी मान्यताओं के कारण दुनिया भर के टूरिस्ट्स को आकर्षित करता है. यही वजह है कि यहां हर साल लाखों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी पहुंचते हैं. बौद्ध धर्म से लेकर हिंदू परंपरा तक, प्रेम कहानियों से लेकर आधुनिक विकास तक, गया का हर कोना अपने आप में एक अनोखी कहानी कहता है. ऐसे में अगर आप भी बिहार घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो चलिए जानते हैं क्यों गया आपकी ट्रैवल लिस्ट में ज़रूर शामिल होना चाहिए और वहां पहुंचने के लिए किस रास्ते का चयन करें?
गया से लगभग 30 किमी दूर गहलौर घाटी में दशरथ मांझी की प्रेम और संघर्ष की कहानी बसी है. मांझी ने 22 साल तक पत्थरों को काटकर पहाड़ में रास्ता बनाया ताकि गांव वाले आसानी से अस्पताल पहुंच सकें. यहां बना उनका स्मारक और द्वार देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं. इसे देखने के बाद हर कोई 'माउंटेन मैन' की जिद और जज़्बे को सलाम करता है.
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गया शहर से करीब 35 किमी दूर डोभी के पिपरघट्टी में बना फ्लोरल बायो डाइवर्सिटी पार्क प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहतरीन जगह है. 64 हेक्टेयर में फैले इस पार्क में 250 से ज्यादा दुर्लभ और औषधीय पौधों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं. यहां बांस की झोपड़ियां, हिरणों का दीदार और बच्चों के लिए अलग पार्क इसे फैमिली पिकनिक स्पॉट भी बना देता है.
गया से 12 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित डुंगेश्वरी पहाड़ी बौद्ध और हिंदू दोनों ही धर्मावलंबियों के लिए खास है. यहां स्थित महाकाल गुफा और प्राग बोधि गुफा दुनिया की प्राचीन गुफाओं में गिनी जाती हैं. नवरात्र के दौरान हिंदू श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, जबकि सालभर बौद्ध पर्यटक यहां ध्यान और शांति की तलाश में आते हैं.
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फल्गु नदी पर बना देश का सबसे बड़ा रबर डैम गया का नया टूरिस्ट स्पॉट है. 300 करोड़ की लागत से बने इस डैम की वजह से सालभर नदी में पानी रहता है. इतना ही नहीं यहां शाम के समय लोग रंगीन रोशनी में सेल्फी लेते हैं. यही नहीं पास ही स्थित विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु के चरणों का दर्शन करने हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
गया का सीता कुंड धार्मिक मान्यता के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि यहीं माता सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था. इसके अलावा यहां रेत के नीचे बहने वाली गुप्त गंगा देखने को मिलती है. यही वजह है की लोग अपने हाथों से रेत हटाकर इस पवित्र जल का दर्शन करते हैं. जिसके चलते सीता कुंड हिंदुओं के बीच सबसे खास स्थलों में गिना जाता है.
गया तक पहुंचना बेहद आसान है. यह रेल, सड़क और हवाई मार्ग से देश और विदेश से जुड़ा हुआ है. यहां का रेलवे जंक्शन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों से कनेक्टेड है. इतना ही नहीं गया का इंटरनेशनल एयरपोर्ट सीधे बैंकॉक, यांगून और पारो जैसे शहरों से फ्लाइट सेवा देता है. पटना एयरपोर्ट से भी टैक्सी और बस के जरिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.
गया जंक्शन बिहार का बड़ा रेलवे स्टेशन है, जहां से ज्यादातर प्रमुख ट्रेनें गुजरती हैं. यहां से दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई से सीधी ट्रेनें मिलती हैं. इसके अलावा पटना भी नजदीकी प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जो पूरे देश से जुड़ा हुआ है. वहीं दिल्ली से रोजाना चलने वाली महाबोधि एक्सप्रेस मात्र 16 घंटे में गया पहुंचा देती है.
गया सड़क मार्ग से भी अच्छे से जुड़ा हुआ है. यहां स्थित ग्रैंड ट्रंक रोड (NH-2) और अन्य राष्ट्रीय राजमार्ग इसे उत्तर भारत के बड़े शहरों से जोड़ते हैं. इसके अलावा रांची, जमशेदपुर, कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और दिल्ली जैसे शहरों से यहां आसानी से बस या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है.
गया का अपना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. यहां से कोलंबो, सिंगापुर, यांगून और पारो जैसी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित होती हैं. घरेलू उड़ानों के लिए पटना एयरपोर्ट सबसे बड़ा विकल्प है, जहां से टैक्सी और बस के जरिए करीब 3 घंटे में गया पहुंचा जा सकता है.
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