कैब बुकिंग प्लेटफॉर्म Uber के कम्प्यूटर नेटवर्क में गुरुवार को सेंधमारी हुई है. इसकी वजह से कंपनी के इंटरनल कम्युनिकेशन और इंजीनियरिंग सिस्टम पर प्रभाव पड़ा है. कंपनी ने कहा है कि साइबर सिक्योरिटी से जुड़े इस मामली की वो जांच कर रहे हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो इस सिक्योरिटी ब्रीच की वजह से उबर को अपने इंटरनल कम्युनिकेशन और इंजीनियरिंग सिस्टम को बंद करना पड़ा.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उबर स्पोकपर्सन ने बताया कि हैकर ने एक कर्मचारी के वर्कप्लेस मैसेजिंग ऐप Slack का एक्सेस हासिल कर लिया.
इसका इस्तेमाल करके हैकर ने Uber कर्मचारियों को मैसेज भेजा कि कंपनी डेटा ब्रीच का शिकार हुई है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक हैकर 18 साल का है. इस डेटा ब्रीच में अभी तक यूजर्स का डेटा लीक होने की जानकारी सामने नहीं आई है.
हैकर ने यह जानकारी रिपोर्टर को दी है. हैकर ने बताया कि वह 18 साल का है और कई साल से अपनी साइबर सिक्योरिटी स्किल पर काम कर रहा है. उसने बताया कि Uber का सिक्योरिटी सिस्टम कमजोर था, इसी वजह से वह उसे आसानी से तोड़ सका.
हैकर के हाथ Uber का सोर्स कोड, ईमेल और दूसरे इंटरनल सिस्टम का एक्सेस लगा. उसे कुछ स्क्रीनशॉट भी शेयर किए हैं. इस मामले में Uber का कहना है कि वह लॉ इन्फोर्समेंट से बातचीत कर रहे हैं और इस संबंध में जल्द ही जानकारी देंगे. वहीं Yuga Labs के सिक्योरिटी इंजीनियर Sam Curry ने कहा है कि हैकर के पास लगभग Uber के पूरे सिस्टम का एक्सेस था.
कर्मचारियों को हैकर के मैसेज मिलने के बाद गुरुवार को कंपनी ने अपने Slack सिस्टम को ऑफलाइन कर दिया. हैकर ने अपने मैसेज में लिखा था, 'मैं घोषणा करता हूं कि मैं हैकर हूं और Uber डेटा ब्रीच का शिकार हुआ है.' हैकर ने ये भी बताया है कि उसने Uber के सिस्टम में सेंधमारी कैसे की है.
उसने एक Uber कर्मचारी को कॉर्पोरेट आईटी पर्सनल के तौर पर मैसेज भेजा था और उससे पासवर्ड हासिल किया. इस पासवर्ड की मदद से हैकर ने Uber सिस्टम का एक्सेस हासिल किया. हैकर ने उबर सिस्टम को हैक करने के लिए जिस टेक्निक का इस्तेमाल किया, उसे सोशल इंजीनियरिंग कहते हैं
वहीं Slack ने इस मामले में Reuters को जानकारी दी है कि कंपनी इस घटना की जांच कर रही है. उनके प्लेटफॉर्म पर किसी तरह की वल्नेरेबिलिटी नहीं मिली है. उबर ने अपने कर्मचारियों को फिलहाल Slack इस्तेमाल नहीं करने के सलाह दी है.
सोशल इंजीनियरिंग हैकिंग का एक तरीका है, जिसमें यूजर्स को एक फर्जी सोशल नेटवर्क साइज के जरिए फंसाया जाता है. हैकर एक नकली वेबसाइट बनाते हैं, जो दिखने में असली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या किसी वेबसाइट की तरह होती है. यूजर इसमें अपने क्रेडेंशियल्स डालता है और हैकर के जाल में फंस जाता है.
यह कोई पहला मौका नहीं है जब Uber डेटा ब्रीच का शिकार हुआ है. इससे पहले भी कंपनी जांच एजेंसियों के दायरे में आ चुकी है. साल 2016 में प्लेटफॉर्म पर मौजूद 5.7 करोड़ ड्राइवर और राइडर्स का डेटा लीक हुआ था. इस मामले को दबाने के लिए कंपनी ने हैकर्स को एक लाख डॉलर भी दिए थे. हालांकि, साल 2017 में ये मामले पब्लिक के सामने आ गया था.
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