विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही यह दावा करती रही है कि उसका मकसद टैक्स टेरर खत्म करना है. इस कारण से विपक्ष ने उसपर हमेशा ही कॉरपोरेट सर्मथक और आम आदमी विरोधी होने का आरोप लगाया है. हालांकि मोदी सरकार ने इन दावों हमेशा ही खारिज किया. पर उनकी सरकार टैक्स को लेकर ऐसा कदम उठाने वाली है जिसकी मार आम आदमी की जेब पर पड़ेगी. बकाएदारों की लिस्ट जारी करेगा IT विभाग
मोदी सरकार ने फाइनेंस बिल में एक ऐसा क्लॉज जोड़ा है जिससे देश के करोड़ों कर्मचारियों की रिटायरमेंट सेविंग्स आयकर के दायरे में आ जाएगी. यह खबर अंग्रेजी अखबार द इकोनॉमिक टाइम्स ने दी है. EPFO के लिए जल्द ही आएंगे नए नियम
अखबार के मुताबिक, नए नियम के कारण महीने में मात्र 2120 रुपये कमाने वाले शख्स को भी टैक्स देना पड़ेगा.
मौजूदा आंकड़ों को मुताबिक सालाना 2.50 लाख रुपये की कमाई पर इनकम टैक्स की छूट है यानी एक महीने में लगभग 21000 रुपये.
1 जून से 30000 रुपये से ज्यादा की रिटायरमेंट सेविंग्स पर 10.3 फीसदी के दर से टैक्स लगेगा या फिर कर्मचारी पांच साल के पहले अपने पीएफ की राशि को निकालते हैं तो इस पर 30.6 फीसदी के मार्जिनल रेट से टैक्स लगाया जाएगा.
वहीं, इनकम टैक्स एक्ट के नए सेक्शन 192A में यह प्रावधान किया गया है कि जिन लोगों के पास PAN कार्ड नहीं है, उन्हें प्रोविडेंट फंड बैलेंस पर सबसे ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा.
और कोई भी पैन कार्ड धारक, जो ज्यादा पैसे बचाता है व इनकम टैक्स भी देता है तो उन्हें अपने पुराने टैक्स रिटर्न फाइल करने होंगे जिसमें EPF के आधार पर छूट ली गई थी.
सरकार के इस फैसले से पीएफ दफ्तर के अधिकारी चिंतित हैं. उनका कहना है कि Employees' Provident Fund Organisation के 8.5 करोड़ सदस्यों में 90 फीसदी के पास पैन कार्ड नहीं है और नए फैसले के कारण उन्हें अपने बचत पर ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. EPFO बोर्ड की बैठक में श्रम और रोजगार मंत्री बंदारू दत्तात्रेय ने यह मुद्दा वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के सामने उठाया था.
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