योजना आयोग को बदलने की दिशा में पहली कोशिश, मुख्यमंत्रियों के साथ PM मोदी की बैठक

योजना आयोग को बदलने की पहली कोशिश आज हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर रहे हैं. हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पीएम की बैठक में शामिल नहीं हुई हैं. उनके नुमाइंदे के तौर पर अमित मित्रा बैठक में शामिल हुए हैं. इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल नहीं हो रहे हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

योजना आयोग को बदलने की पहली कोशिश आज हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर रहे हैं. हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पीएम की बैठक में शामिल नहीं हुई हैं. उनके नुमाइंदे के तौर पर अमित मित्रा बैठक में शामिल हुए हैं. इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल नहीं हो रहे हैं. केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद ही प्रधानमंत्री ने प्लानिंग कमीशन को बदलने की बात की थी. योजना आयोग की जगह 8 सदस्यों की टीम

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पीएम आवास पर मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ यह बैठक सुबह 10:30 बजे शुरू हुई जिसमें नई सरकार के तहत बदलते आर्थिक हालात के बीच मौजूदा योजना आयोग की जगह नई संस्था के स्वरूप, उसका दायरा और भूमिका पर चर्चा हो रही है. योजना आयोग की जगह 8 सदस्यों की टीम एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘प्रधानमंत्री योजना आयोग के स्थान पर बनाई जाने वाले नई संस्था के आकार और काम-काज के संबंध में मुख्यमंत्रियों के साथ विचार करेंगे.’

वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक, 'हम राज्यों को सशक्त बनाने में विश्वास रखते हैं. मुझे पूरा भरोसा है कि रविवार को होने वाली बैठक के बाद जो भी फैसला किया जाएगा उससे राज्य बेहतर स्थिति में होंगे.’ एजेंडे के मुताबिक योजना सचिव सिंधुश्री खुल्लर उस नए संस्थान के काम-काज और रूपरेखा के बारे में प्रस्तुति देंगे जो आखिरकार मौजूदा योजना आयोग की जगह लेगा.

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प्रस्तुति के बाद मुख्यमंत्रियों से विशेषज्ञ, पूर्व सदस्य और आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों एवं अन्य के साथ परामर्श के बाद तैयार अवधारणा पत्र में स्पष्ट विभिन्न बिंदुओं पर अपने विचार देने के लिए कहा जाएगा.

माना जा रहा है कि नए संस्थान में आठ से 10 नियमित या कार्यकारी सदस्य हो सकते हैं जिनमें से आधे राज्यों के प्रतिनिधि होंगे. शेष सदस्य क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञ हो सकते हैं जिनमें पर्यावरणविद, वित्तीय विशेषज्ञ, इंजीनियर, वैज्ञानिक और विभिन्न क्षेत्रों में जाने-माने विद्वान शामिल होंगे. नई संस्था के प्रमुख प्रधानमंत्री होंगे जो कि पदेन इसके अध्यक्ष होंगे.

माना जा रहा है कि नए संस्थान के कामकाज में निगरानी एवं आकलन, कार्यक्रम परियोजना और योजना आकलन, विभिन्न क्षेत्रों और अंतर-मंत्रालयीय विशेषज्ञता, मूल्यांकन और परियोजनाओं की निगरानी शामिल होगी.

मई से आयोग का पुनर्गठन नहीं किया गया है जबकि इसके सदस्यों ने आम चुनाव के बाद बनी नई सरकार का गठन होने पर इस्तीफा दे दिया था.

कहा जा रहा है कि नया संस्थान प्रधानमंत्री को इन मामलों में सलाह देगा. इसके अलावा यह विचार संस्था के तौर भी काम करेगा जिसका नेटवर्क विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के साथ होगा.

नया संस्थान राज्यों और केंद्र को विभिन्न मामलों में आंतरिक परामर्श सेवा प्रदान कर सकता है. इसका उपयोग मध्यम और दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है.

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार रविवार को मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद नए संस्थान के आकार को अंतिम स्वरूप दे सकती है.

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के दिन दिए भाषण में योजना आयोग को समाप्त करने की घोषणा करते हुए कहा था कि इसके स्थान पर अधिक प्रासंगिक संस्थान की स्थापना की जाएगी. आयोग की स्थापना 1950 में ऐसे समय में हुई थी जब सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र को अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने का जिम्मा सौंपा था.

मोदी ने कहा था, ‘हम बहुत जल्द योजना आयोग की जगह नए संस्थान की स्थापना करेंगे. देश के आंतरिक हालात बदले हैं, वैश्विक हालात बदले हैं. हमें ऐसे रचनात्मक सोच और युवाओं की क्षमता के लिए अधिकतम उपयोग करने वाले संस्थान की जरूरत है.’

इस घोषणा के बाद आयोग ने नए प्रस्तावित संस्थान की रपरेखा पर चर्चा के लिए कई विशेषज्ञों के साथ बैठकें कीं.

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